Friday, August 15, 2014

आखँ बंद हो चली परेशान है जिन्दंगी

कलम से____

आखँ बंद हो चली परेशान है जिन्दंगी
काम कुछ है नहीं बैचेनी है अब बढ़ी
मन उदास हो चला आस खत्म हुई
आखिरी पडाव पर हारती है जिन्दंगी।

फूल शूल हैं बने घर में आग है लगी
कौन बचाएगा हर एक को अपनी पडी
पानी पानी सब करें करै न कोई उपाय
पेड लगाया बबूल का तो आम कंहा से खाय।

तहखानों में रखी हैं लाशें इन्सान के लिए जगह नहीं
भीड इस कदर बढी है पैर रखने के लिए जमीन नहीं
इन्सानियत खत्म हो रही यहाँ हैवानियत सवार है
आदमी क्या करे भगवान मी परेशान औ' लाचार है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Rajan Varma and 3 others.
Photo: कलम से____

आखँ बंद हो चली परेशान है जिन्दंगी
काम कुछ है नहीं बैचेनी है अब बढ़ी
मन उदास हो चला आस खत्म हुई
आखिरी पडाव पर हारती है जिन्दंगी।

फूल शूल हैं बने घर में आग है लगी
कौन बचाएगा हर एक को अपनी पडी
पानी पानी सब करें करै न कोई उपाय
पेड लगाया बबूल का तो आम कंहा से खाय।

तहखानों में रखी हैं लाशें इन्सान के लिए जगह नहीं
भीड इस कदर बढी है पैर रखने के लिए जमीन नहीं
इन्सानियत खत्म हो रही यहाँ हैवानियत सवार है 
आदमी क्या करे भगवान मी परेशान औ' लाचार है।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Sp Dwivedi सही कहे भगवन भी लाचार है
    10 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh लोगों की भीड है लगी 
    जाए जहां तक नजर लोग ही लोग।
    चारों तरफ बस लोग लोग ही लोग।
  • Rajan Varma आपकी, बेलगाम बढ़ती जनसंख्या पर चिन्ता जायज़ है- अौर ये हमारे विकास में एक बहुत बड़ी बाधा है- पर मैं आस छोड़ने के पक्ष में नहीं हूँ; सिर्फ़ इस समस्या का हल वाँछित इच्छा-शक्ति में निहित है- चीन ने अपनी इच्छा-शक्ति के आधार पर कर दिखाया है- 'negative population growth rate'; हम न कर पायें- मैं ऐसा नहीं मानता;
    'इन्सानियत खत्म हो रही यहाँ हैवानियत सवार है'- यह वाकई चिन्ता का विषय है; हम उस देश के वासी हैं जो परिवार को अपना विशेष मनोबल एवं शक्ति मानते है अौर आज हमीं में संवेदनाअों का नाश होता जा रहा है, स्वार्थ ने सर्वोच्च प्राथमिक्ता ग्रहण करली है हमारे जीवन में- इसका मूल कारण क्या हो सकता है?
    जब तक हम उस कारण को ही समाप्त नहीं करते- कदाचित इस समस्या का निदान कठिन है; शायद हमारे देश की ग़रीबी इस समस्या का मुख्य कारण हो सकती है- जो किसी भी मनुष्य को पहले अपना हित सुरक्षित करने के लिये प्रेरित करती है; मोदी जी ने भी आज लाल-किले की प्राचीर से कहा- कि हर काम में पहले हम ये देखते हैं- 'इसमें मेरे लिये क्या'? अौर अगर मेरे लिये कुछ नहीं तो 'मुझे क्या'? इस मानसिकता से ऊपर उठना है अौर हर काम में निजी स्वार्थ न तलाश कर, देश हित को सर्वोपरि रख कर कार्य करना है, तो शायद हम उस बुलंदी को छू पायें जहाँ आज जापान अौर अमरीका हैं-
    जय भारत, जय हिन्द- वन्दे मातरम्‌
    10 hours ago · Edited · Like · 1
  • Bholeshwar Upmanyu जय हिन्द ---जय भारतSee Translation
  • S.p. Singh राजन जी,

    मेरा यह पुरजोर विचार है कि अगर हम population control mechanism को लागू नहीं करेगें तो हमारी प्रगति कभी भी नहीं होगी।
    ...See More
    9 hours ago · Like · 1
  • Vivek Sakargayen · Friends with SN Gupta and 3 others
    आखिरी पड़ाव पर आकर ही जिंदगी शुरू होती है।
    See Translation
    9 hours ago · Unlike · 1
  • Lata Yadav वन्देमातरम ! ! !
    9 hours ago · Unlike · 1
  • Manish Sukhwal बहुत खूब सर जीSee Translation
    6 hours ago · Unlike · 1

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