Monday, August 18, 2014

खुशहाली से बदहाली

कलम से _ _ _ _

खुशहाली से बदहाली

खुशहाली से बदहाली की ओर
किस्मत है ले जा रही
बदनामी पीछा है कर रही
बरबादी चेहरे पर छा रही।

सबकुछ बिक है रहा
जो कुछ है बचा
सब पीछे छूट रहा
रिश्ते टूटे नाते टूटे
टूटे अब आखिर हम हैं।

हरी भरी जमीन हमारी थी
खाती पीती जिन्दगी थी
टप्पे भागंडे खूब पडते थे
मिलकर सब हम हंसते थे।

बैसाखी हो या हो दिवाली
लगती बहुत थी मतवाली
मिलकर सब हंसते गाते
खुशी खुशी त्योहार मनाते।

अब चैन कहाँ वो रैन कंहा
घर भी गया बिक यहां
अब जाएं तो जाऐं कंहा
नहीं बचा कुछ शेष यहां।

एक बीमारी है आई क्या
सुख चैन गया घरबार गया
ड्रग्ज ने सबको बरबाद किया
रोशन कैसे होगा बुझ गया दिया।

रोशन अब न होगा बुझ गया जो दिया
पंजाब को आज इसने कंगाल कर दिया।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से _ _ _ _

खुशहाली से बदहाली

खुशहाली से बदहाली की ओर 
किस्मत है ले जा रही
बदनामी पीछा है कर रही
बरबादी चेहरे पर छा रही।

सबकुछ बिक है रहा 
जो कुछ है बचा 
सब पीछे छूट रहा
रिश्ते टूटे नाते टूटे
टूटे अब आखिर हम हैं।

हरी भरी जमीन हमारी थी
खाती पीती जिन्दगी थी
टप्पे भागंडे खूब पडते थे
मिलकर सब हम हंसते थे।

बैसाखी हो या हो दिवाली
लगती बहुत थी मतवाली
मिलकर सब हंसते गाते
खुशी खुशी त्योहार मनाते।

अब चैन कहाँ वो रैन कंहा
घर भी गया बिक यहां
अब जाएं तो जाऐं कंहा
नहीं बचा कुछ शेष यहां।

एक बीमारी है आई क्या
सुख चैन गया घरबार गया
ड्रग्ज ने सबको बरबाद किया
रोशन कैसे होगा बुझ गया दिया।

रोशन अब न होगा बुझ गया जो दिया
पंजाब को आज इसने कंगाल कर दिया।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Ram Saran Singh आपने सही कहा है महोदय । पंजाब का युवा वर्ग भटक गया है । यह शायद असीम संपन्नता का दर्द है ।
    16 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh आज कृष्ण का जन्मोत्सव है। जीवन एक उत्सव है। जीवन जीना साधना। बस जिस दिन यह समझ लेगें। भूले भटके घर लौट आएंगे।
    यह पोस्ट आज के पावन पर्व पर उनका उध्दार कर सके इससे अच्छा और क्या होगा।
  • Rajan Varma आपकी चिन्ता स्वाभाविक है सर- हंसते-खेलते पंजाब के नौजवान मौत को गले लगाने के लिये क्यों आतुर हैं- आखिर कौन ज़िम्मेदार है इस बर्बादी का?
    १) युवाअों के माँ-बाप
    २) खुद युह्वान या फ़िर
    ३) ड्रग्स/मौत के सौदागर
    मेरा ये मानना है कि सर्व-प्रथम उनके माँ-बाप दोषी हैं जिन्हे इस बात का भान ही नहीं है कि उनके लाल घर से बाहर जा कर क्या गुल खिला रहे हैं? ऐसे में क्या उन्होंने संतान उत्पन्न करके खुद पर, समाज पर अौर देश पर एक liability नहीं डाल दी है?
    अब 'कारण' पर आक्रमण कर नहीं सकते, तो उससे उत्पन्न 'परिणाम' पर आक्रमण करके 'काबू' करना कुछ इसी प्रकार होगा जैसे 'allopathic medicine' के उपचार जैसा है; पर अब हम ऐसे मोड़ पर खड़े हैं कि अौर कोई विकल्प भी तो सुझाई नहीं दे रहा??????
    राधे-राधे सबकौ सद्बुद्धि दे कान्हा
    3 hours ago · Unlike · 2
  • S.p. Singh कभी कभी भक्ति का आसक्त भाव ही रास्ता सुझाता है। जिस दिन यह समझ लिया जाएगा। जीवन स्वतः उत्सव हो जाएगा।
    3 hours ago · Like · 3
  • आशीष कैलाश तिवारी हॉ हॉ हॉ,,,, यह तो सही कहा आपने राजन सर। माँ-बाप ही 'बलात्कारी' बनाते हैं बच्चों को। बचपन से यही जवाब खोजता रह गया कि - "कैसे कोई मनुष्य कहलाने वाला जीव उस कोख को दूषित करने की हिम्मत कर लेता है जिसने नौ माह तक,,, सारे दर्द को सहन करते हुये उसका अस्तित्व निर्मित किया है?",,,,,,,,, जानते हैं?? इसका उत्तर पापाजी ने क्या दिया था? "मनुष्य और पौधे की रोपण विधि समान होती है। फसल के बीजारोपण हेतु, किसान खेत में अनुकूल परिस्थिति निर्मित करता है,,,समय पर पानी, खाद देकर पौधे को पौष्टिकता देता है,,, ठीक ऐसे ही मनुष्य के निर्माण की प्रक्रिया में होता है। विवाह शुभ मुहूर्त में होता है। मनुष्य को जो प्रथम संस्कार मिलना चाहिये,,वह माता पिता के जागृत अवस्था में ही मिल सकती है। सोलह संस्कारों मे प्रथम संस्कार पूजा मानी जाती है।,,,,, अब ये ससुरे महेश भट्ट टाइप,,, जो सनी लियोन को पतिव्रता कहते हैं,,, इनकीअम्मा जी भी सनी लियोन टाइप होती है,,,,,, "बोया पेड़ बबूल का तो काजू कहां से होय"See Translation
  • S.p. Singh दिक्कत तो यही है कि संस्कार और संस्कृति दोनों ही प्रगति की भेंट चढ़ गई हैं।
    55 minutes ago · Like · 1
  • Rajan Varma मैं आशीष भाई से सहमत् हूँ- मेरा बच्चा क्या बना, क्या नहीं बना इस बात पर निर्भर करता है कि उसका पालन-पोषण किस माहौल में हुआ, माँ-बाप के प्रेम-पूर्ण परिवारिक वातावरण में या फ़िर कलेश-युक्त, शराबी-व्याभिचारी बाप की छत्रछाया में; दोनों माँ-बाप नौकरी पर चले गये- बच्चे को नौकरानी ने क्या संस्कार दिये ये तो वही बता सकती है न कि माँ-बाप;

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