Saturday, August 23, 2014

थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।

कलम से____

सो रहे हो क्या?

थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो
अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।

रात अभी गहराई है नीदं तुम्हें क्यों आई है
उठो बैठो कुछ बात करो याद तुम्हारी आई है।

अपने हाथों में ले कुछ मेरी हथेली पर लिखो
कुछ याद आएतो दो आखर प्यार के लिखो।

मेरी हथेली पर नाम लिख मुझे निहाल करो
जान हूँ मैं मुझे जानू कह कर पुकार भर लो।

चंद्रमा चादँनी से है दामिनी बादलों से है
रंग रूप जो है मेरा सिर्फ तेरे लिए है।

जाग जाओ मेरे लिए अब न सोओ प्रीतम प्रिये
सोना अभी से नहीं बस जाग जाओ मेरे लिए।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

सो रहे हो क्या?

थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो
अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।

रात अभी गहराई है नीदं तुम्हें क्यों आई है
उठो बैठो कुछ बात करो याद तुम्हारी आई है।

अपने हाथों में ले कुछ मेरी हथेली पर लिखो
कुछ याद आएतो दो आखर प्यार के लिखो।

मेरी हथेली पर नाम लिख मुझे निहाल करो
जान हूँ मैं मुझे जानू कह कर पुकार भर लो।

चंद्रमा चादँनी से है दामिनी बादलों से है
रंग रूप जो है मेरा सिर्फ तेरे लिए है।

जाग जाओ मेरे लिए अब न सोओ प्रीतम प्रिये
सोना अभी से नहीं बस जाग जाओ मेरे लिए।

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Puneet Chowdhary Very nice kavi raaj
    13 hours ago · Unlike · 1
  • Neelesh B Sokey SpS साहब तिल वाली कविता फिर से पोस्ट करने की कृपा करेंगे?
    13 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh धन्यवाद पुनीत।
  • S.p. Singh Neelesh B Sokey : कृपया मेरी टाइम लाइन में जाकर देख लें। दुबारा इतना जल्दी पोस्ट करना गुस्ताखी होगी।
    13 hours ago · Like · 2
  • Ram Saran Singh रचना पूर्ण समर्पण की ओर इंगित कर रही है । भाव अच्छे हैं । धन्यवाद ।
    13 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh रात्रि बेला है इससे सुंदर समय फिर कहाँ मिलेगा इस कविता के रसास्वादन के लिए।
    आपने पसंद की हृदय से धन्यवाद।

No comments:

Post a Comment