Saturday, August 30, 2014

सदाबहार नाम है इस सुंदर से फूल का पांच पत्तियों से सुसज्जित रहता है पहले अक्सर दिखाई पड़ जाता था अब मुश्किल से दिखता है !!

कलम से____

सदाबहार नाम है
इस सुंदर से फूल का
पांच पत्तियों से सुसज्जित रहता है
पहले अक्सर दिखाई पड़ जाता था
अब मुश्किल से दिखता है !!

धीरे धीरे लुप्त हो जाएगा
कैंसर की दवाई बन कर
कुछ लैब्स की शोभा बढ़ाएगा
शीघ्र ही बिलुप्त होती प्रजाति कह लाएगा !!

हम जान ही नहीं
पा रहे हैं
क्या खो रहे हैं
क्या पा रहे हैैं
न जाने कितने अरसे से
हम अपनों को खोते जा रहे हैं
फिर भी होश हमारे ठिकाने नहीं आ रहे हैं !!

रोने से क्या होगा
चिडिंयों को दाना तो देना होगा
सोच कर चलेगें तो आगे बढ़ेंगे
वरना मुहँ के बल गिरेगें !!!

अधिक जानकारी इस प्रकार है :-

सदाफूली या सदाबहार बारहों महीने खिलने वाले फूलों का एक पौधा है। इसकी आठ जातियां हैं। इनमें से सातमेडागास्कर में तथा आठवीं भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस है।भारतमें पायी जाने वाली प्रजाति का वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस रोजस है। इसे पश्चिमी भारत के लोग सदाफूली के नाम से बुलाते है।

मेडागास्कर मूल की यह फूलदार झाड़ी भारत में कितनी लोकप्रिय है इसका पता इसी बात से चल जाता है कि लगभग हर भारतीय भाषा में इसको अलग नाम दिया गया है- उड़िया में अपंस्कांति, तमिल में सदाकाडु मल्लिकइ,तेलुगु में बिल्लागैन्नेस्र्, पंजाबी में रतनजोत, बांग्ला में नयनतारा या गुलफिरंगी, मराठी में सदाफूली औरमलयालम में उषामालारि। इसके श्वेत तथा बैंगनी आभावाले छोटे गुच्छों से सजे सुंदर लघुवृक्ष भारत की किसी भी उष्ण जगह की शोभा बढ़ाते हुए सालों साल बारह महीने देखे जा सकते हैं। इसके अंडाकार पत्ते डालियों पर एक-दूसरे के विपरीत लगते हैं और झाड़ी की बढ़वार इतनी साफ़ सुथरी और सलीकेदार होती है कि झाड़ियों की काँट छाँट की कभी ज़रूरत नहीं पड़ती।

वानस्पतिक संरचनाऔषधीय गुण

विकसित देशों में रक्तचाप शमन की खोज से पता चला कि 'सदाबहार' झाड़ी में यह क्षार अच्छी मात्रा में होता है। इसलिए अब यूरोप भारत चीन और अमेरिका के अनेक देशों में इस पौधे की खेती होने लगी है। अनेक देशों में इसे खाँसी, गले की ख़राश और फेफड़ों के संक्रमण की चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है। सबसे रोचक बात यह है कि इसे मधुमेह के उपचार में भी उपयोगी पाया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सदाबहार में दर्जनों क्षार ऐसे हैं जो रक्त में शकर की मात्रा को नियंत्रित रखते है। जब शोध हुआ तो 'सदाबहार' के अनेक गुणों का पता चला - सदाबहार पौधा बारूद - जैसे विस्फोटक पदार्थों को पचाकर उन्हें निर्मल कर देता है। यह कोरी वैज्ञानिक जिज्ञासा भर शांत नहीं करता, वरन व्यवहार में विस्फोटक-भंडारों वाली लाखों एकड़ ज़मीन को सुरक्षित एवं उपयोगी बना रहा है। भारत में ही 'केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान' द्वारा की गई खोजों से पता चला है कि 'सदाबहार' की पत्तियों में 'विनिकरस्टीन' नामक क्षारीय पदार्थ भी होता है जो कैंसर, विशेषकर रक्त कैंसर (ल्यूकीमिया) में बहुत उपयोगी होता है। आज यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी का काम कर रहा है। बगीचों की बात करें तो १९८० तक यह फूलोंवाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय पौधा बन चुका था, लेकिन इसके रंगों की संख्या एक ही थी- गुलाबी।१९९८ में इसके दो नए रंग ग्रेप कूलर (बैंगनी आभा वाला गुलाबी जिसके बीच की आँख गहरी गुलाबी थी) और पिपरमिंट कूलर (सफेद पंखुरियाँ, लाल पंखुरियाँ)

//surendrapalsingh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
Photo: कलम से____

सदाबहार नाम है
इस सुंदर से फूल का
पांच पत्तियों से सुसज्जित रहता है
पहले अक्सर दिखाई पड़ जाता था
अब मुश्किल से दिखता है !!

धीरे धीरे लुप्त हो जाएगा
कैंसर की दवाई बन कर
कुछ लैब्स की शोभा बढ़ाएगा
शीघ्र ही बिलुप्त होती प्रजाति कह लाएगा !!

हम जान ही नहीं
पा रहे हैं
क्या खो रहे हैं
क्या पा रहे हैैं
न जाने कितने अरसे से
हम अपनों को खोते जा रहे हैं
फिर भी होश हमारे ठिकाने नहीं आ रहे हैं !!

रोने से क्या होगा
चिडिंयों को दाना तो देना होगा
सोच कर चलेगें तो आगे बढ़ेंगे
वरना मुहँ के बल गिरेगें !!!

अधिक जानकारी इस प्रकार है :-

सदाफूली या सदाबहार बारहों महीने खिलने वाले फूलों का एक पौधा है। इसकी आठ जातियां हैं। इनमें से सातमेडागास्कर में तथा आठवीं भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस है।भारतमें पायी जाने वाली प्रजाति का वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस रोजस है। इसे पश्चिमी भारत के लोग सदाफूली के नाम से बुलाते है।

मेडागास्कर मूल की यह फूलदार झाड़ी भारत में कितनी लोकप्रिय है इसका पता इसी बात से चल जाता है कि लगभग हर भारतीय भाषा में इसको अलग नाम दिया गया है- उड़िया में अपंस्कांति, तमिल में सदाकाडु मल्लिकइ,तेलुगु में बिल्लागैन्नेस्र्, पंजाबी में रतनजोत, बांग्ला में नयनतारा या गुलफिरंगी, मराठी में सदाफूली औरमलयालम में उषामालारि। इसके श्वेत तथा बैंगनी आभावाले छोटे गुच्छों से सजे सुंदर लघुवृक्ष भारत की किसी भी उष्ण जगह की शोभा बढ़ाते हुए सालों साल बारह महीने देखे जा सकते हैं। इसके अंडाकार पत्ते डालियों पर एक-दूसरे के विपरीत लगते हैं और झाड़ी की बढ़वार इतनी साफ़ सुथरी और सलीकेदार होती है कि झाड़ियों की काँट छाँट की कभी ज़रूरत नहीं पड़ती।

वानस्पतिक संरचनाऔषधीय गुण

विकसित देशों में रक्तचाप शमन की खोज से पता चला कि 'सदाबहार' झाड़ी में यह क्षार अच्छी मात्रा में होता है। इसलिए अब यूरोप भारत चीन और अमेरिका के अनेक देशों में इस पौधे की खेती होने लगी है। अनेक देशों में इसे खाँसी, गले की ख़राश और फेफड़ों के संक्रमण की चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है। सबसे रोचक बात यह है कि इसे मधुमेह के उपचार में भी उपयोगी पाया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सदाबहार में दर्जनों क्षार ऐसे हैं जो रक्त में शकर की मात्रा को नियंत्रित रखते है। जब शोध हुआ तो 'सदाबहार' के अनेक गुणों का पता चला - सदाबहार पौधा बारूद - जैसे विस्फोटक पदार्थों को पचाकर उन्हें निर्मल कर देता है। यह कोरी वैज्ञानिक जिज्ञासा भर शांत नहीं करता, वरन व्यवहार में विस्फोटक-भंडारों वाली लाखों एकड़ ज़मीन को सुरक्षित एवं उपयोगी बना रहा है। भारत में ही 'केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान' द्वारा की गई खोजों से पता चला है कि 'सदाबहार' की पत्तियों में 'विनिकरस्टीन' नामक क्षारीय पदार्थ भी होता है जो कैंसर, विशेषकर रक्त कैंसर (ल्यूकीमिया) में बहुत उपयोगी होता है। आज यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी का काम कर रहा है। बगीचों की बात करें तो १९८० तक यह फूलोंवाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय पौधा बन चुका था, लेकिन इसके रंगों की संख्या एक ही थी- गुलाबी।१९९८ में इसके दो नए रंग ग्रेप कूलर (बैंगनी आभा वाला गुलाबी जिसके बीच की आँख गहरी गुलाबी थी) और पिपरमिंट कूलर (सफेद पंखुरियाँ, लाल पंखुरियाँ)

//surendrapalsingh//

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सुप्रभात दोस्तों। Good morning friends 08 30 2014

सुप्रभात दोस्तों।
Good morning friends
08 30 2014

कार ड्राइव करते हुए
बिन्डशील्ड पर दो एक बूँद दिख गईं
धीरे धीरे दो चार और गिर गईं
मैं भी सोच रहा था
जाते जाते भी
दो बदली की टुकडीं
आखिर रंग दिखा ही गईं !!

मुझे याद हो आई
गौरवर्ण गौरी की
श्यामवर्ण श्यामप्यारी की
गौरी हँस कर बोली
रोले थोड़ा कुछ रोले
अब तुझे पिया मिलेगें
बिछोह के हैं आसूँ अखियों से बह जाने दे
सजन तुझे अब शीघ्र मिलेगें !!

श्यामप्यारी वोली मेरी तू बात न कर
तू भी चल अपने सजना घर
गौरवर्ण तेरा मन उनका ललचाएगा
भागा भागा कोई पीछे तेरे आएगा
मै दूर खड़ी देखूँगी
सजन तेरे क्या करते हैं
उन्हें अचानक पाकर नयन तेरे हसँते या रोते हैं !!

सखी दोनों कभी हसँती
कभी रोतीं थीं
पानी की बूंदें बन
टपका करती थीं !!

दोनों बदली बन उड़ चली
पिया के देश
यह कर
फिर आयेगें तब बरसेंगें
उमड़ धुमड़ कर इतरायेंगे
तब अपनी नेहबारिश कर जाएगें !!

मैनें वाइपर चालू कर
बिन्डशील्ड साफ किया
उसे चलता छोड़
छोटी छोटी बूंदों को
इकट्ठा हथेली पर कर
रसपान किया !!

जाओ प्यारी जाओ अपने देश
आना फिर जब आना दिखाना असली भेष !!!

//surendrapalsingh//
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: सुप्रभात दोस्तों।
Good morning friends
08 30 2014

कार ड्राइव करते हुए
बिन्डशील्ड पर दो एक बूँद दिख गईं
धीरे धीरे दो चार और गिर गईं 
मैं भी सोच रहा था
जाते जाते भी
दो बदली की टुकडीं
आखिर रंग दिखा ही गईं !!

मुझे याद हो आई
गौरवर्ण गौरी की
श्यामवर्ण श्यामप्यारी की
गौरी हँस कर बोली
रोले थोड़ा कुछ रोले
अब तुझे पिया मिलेगें 
बिछोह के हैं आसूँ अखियों से बह जाने दे
सजन तुझे अब शीघ्र मिलेगें !!

श्यामप्यारी वोली मेरी तू बात न कर
तू भी चल अपने सजना घर 
गौरवर्ण तेरा मन उनका ललचाएगा
भागा भागा कोई पीछे तेरे आएगा
मै दूर खड़ी देखूँगी
सजन तेरे क्या करते हैं
उन्हें अचानक पाकर नयन तेरे हसँते या रोते हैं !!

सखी दोनों कभी हसँती
कभी रोतीं थीं
पानी की बूंदें बन
टपका करती थीं !!

दोनों बदली बन उड़ चली
पिया के देश
यह कर
फिर आयेगें तब बरसेंगें
उमड़ धुमड़ कर इतरायेंगे 
तब अपनी नेहबारिश कर जाएगें !!

मैनें वाइपर चालू कर
बिन्डशील्ड साफ किया
उसे चलता छोड़
छोटी छोटी बूंदों को
इकट्ठा हथेली पर कर
रसपान किया !!

जाओ प्यारी जाओ अपने देश
आना फिर जब आना दिखाना असली भेष !!!

//surendrapalsingh//
  • Brahmdeo Prasad Gupta nice.good morning.
    12 hours ago · Unlike · 1
  • Neelesh B Sokey नेट ने परेशान कर रखा है। Good morning पोस्ट करना भी मुश्किल हो रहा है। न जाने मोदी जी का digital India कब आयेगा। Good morning. आपका दिन मंगलमय हो।
    11 hours ago · Unlike · 2
  • Sp Dwivedi सुप्रभात,
    11 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh सुप्रभात मित्रों।
    11 hours ago · Like · 1
  • Ajay Kumar Misra ॥ सुप्रभातम् सर ॥
    आपकी ये रचना सरस और स्वभाविक लगी। सुन्दर प्रस्तुति।
    See Translation
    10 hours ago · Unlike · 1
  • Anjani Srivastava 'छोटी छोटी बूंदों को हथेली पर इकट्ठा कर रसपान किया..... प्रसाद समझ कर 
    सुन्दर अभिव्यक्ति... सर जी I
    See Translation
    10 hours ago · Unlike · 1
  • Rajan Varma सुप्रभात्- शनि-मंगलम्; दिल्ली-गुड़गाँव में तो सुना है दो बूँद पड़ी भी हैं पर फ़रीदाबाद से शायद कुछ कर्ज़ पुराना बाकी था, इसलिये इधर आना संभव न हो पाया बादलों का- राधे राधे
    9 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh अजय

    जो सहज में लिख जाय वह सहज ही जगह भी बना लेगी।
  • S.p. Singh अंजनी
    छोटी छोटी बूंदों को इकट्ठा हथेली पर कर रसपान किया। जब यह पंक्तियाँ बन गई तो मैं सकपका गया था। पर बाद में लगा कि यह अपने आप ही बन गई हैं तो हमने बनी रहने दी।
    9 hours ago · Like · 1
  • Anjani Srivastava धन्यवाद सर जीSee Translation
    9 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh राजन जी
    NCR इतना बड़ा हो गया है। अब तो यह आम बात है। हमारे घर के बाजू वाली सड़क है दिल्ली में वहां पानी गिरता है। कभी कभी हमारे यहाँ नहीं बरसता।
    9 hours ago · Like · 2
  • Arun Kumar Singh सुप्रभात सर
    9 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh सुप्रभात।
    8 hours ago · Unlike · 1
  • Puneet Chowdhary Sir behtreen bhaav aur badi bareeki se likhi gayi rachna.its outstanding and innovative.