Sunday, August 10, 2014

नदी किनारे हूँ दिल बाग बाग है

कलम से____

नदी
किनारे हूँ
दिल बाग बाग है
बहती नदी का
सातसुरी
संगीत
लग मधुर बहुत
रहा है।

नदी
की सतह के
ऊपर
सतरंगी
इन्द्रधनुष
है दिख जाता
जो
शहरों में
पीछे भवनों के
छिप गया है।

कभी
महसूस करना
हर दिल में
एक नदी
होती है
बहती रहती है।

बुलाती है
हम
बस सुनते
नहीं है
......या सुनना ही नहीं
चाहते हैं।

मैनें सुनी है
तुम भी
सुनो
घर से बस निकल पडो
छुट्टी का दिन है
कुछ
आज
अजीब सा करो।

//surendrapalsingh//
08 10 2010
http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

नदी 
किनारे हूँ 
दिल बाग बाग है
बहती नदी का
सातसुरी
संगीत
लग मधुर बहुत 
रहा है।

नदी
की सतह के
ऊपर
सतरंगी
इन्द्रधनुष
है दिख जाता 
जो
शहरों में
पीछे भवनों के 
छिप गया है।

कभी
महसूस करना
हर दिल में
एक नदी
होती है
बहती रहती है।

बुलाती है
हम
बस सुनते
नहीं है
......या सुनना ही नहीं
चाहते हैं।

मैनें सुनी है
तुम भी 
सुनो
घर से बस निकल पडो
छुट्टी का दिन है
कुछ 
आज
अजीब सा करो।

//surendrapalsingh//
08 10 2010
http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Shravan Kumar Sachan Aap ko dekh ker dil bag bag ho gaya
    9 hours ago · Unlike · 1
  • BN Pandey HUM SUB ES MAHAN PRAKRITI KI HI TO RACHANAA HAI....JUB BHI MUN ASHANT HO YAA KUCHH DUNIA SE HT KER ANAND KA ANUBHAV KARANAA HO TO PRAKRITI KI GOAD ME JAA KER BAITHANAA CHAHIYE......EK SUNDER SAA PRAYAAS SIR
    9 hours ago · Unlike · 2
  • Rajan Varma प्रकृति के रंग अद्भुत भी हैं अौर मन-भावन भी; ये तो पता नहीं सिहँ साहब किस नदी के किनारे बैठे आनन्द मान रहे है पर इसे देख, मनाली-कुल्लू से कल-कल करती पहाड़ी ब्यास नदी अौर पहलगाम व सोनमर्ग से उतरती पहाड़ी नदियाँ भी बिल्कुल हु-बा-हू नज़ारा पेश करती हैं; सिहँ सर के अनुभवी ख़जाने में हर रचना के अनूरूप एक माकूल टाइटल चित्र होता ही है- देख मन प्रसन्न हो जाता है
    9 hours ago · Unlike · 2
  • Rahul Singh Very refreshing Sir !!
    8 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh जी हाँ। हम कुल्लू मनाली की ब्यास के किनारों पर ही हैं। सही पहचाना।
    8 hours ago · Unlike · 3
  • Anil K Garg sir, too good...
    8 hours ago · Unlike · 1
  • Sp Dwivedi - कवि-कविता में कल-कल धारा सी 
    सुन्दर शब्द उतर छल-छल करते.
    पाठक श्रोता दोनों मुग्ध चकित से 
    खुश हो- हो कर, अह-अह करते.
    8 hours ago · Unlike · 2
  • Sp Tripathi बहुत सुन्दर जगह पर बहुत सुन्दर व्यक्तित्व ।See Translation
    8 hours ago · Unlike · 3
  • Anjani Srivastava झलकती है अपनी हर बात खुले दर्पन की तरह,
    क्या करें पर्दे मे रहने कि हमें आदत जो नहीं है........................बहुत सुन्दर सर जी ! "ऊपर सतरंगी इन्द्रधनुष है दिख जाता जो"
    See Translation
    7 hours ago · Unlike · 3
  • R.k. Singh very nice scene behind
    7 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh जीवन के यह कुछ छण साथ रह जाएगें
    औ' तो लेकर कुछ न आए थे 
    बस कुछ
    बची खुची यादें भर ले जाएंगे।
    7 hours ago · Like · 2
  • Pratap Singh Sir,Kavita bahut achchhi likane large gain.Congrats.
    7 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh Thanks Pratap Singh. What ever you do it should appeal to the people.
  • Prem Prakash Goswami कभी
    महसूस करना
    हर दिल में
    ...See More
    See Translation
    4 hours ago · Unlike · 2
  • Ajay Kumar Misra बहुत खूबसूरत बिताये क्षण को आपने सुन्दर सचित्र कविता में प्रस्तुत किया है। सर
    अच्छा लगा ।
    ॥ जय श्री राधे-राधे ॥
    See Translation
    4 hours ago · Unlike · 3
  • Anil Kumar Srivastava Looking very nice ,sir.
    3 hours ago · Unlike · 1
  • Ram Saran Singh महोदय मंद मंद मु़स्कान के साथ नदी का नज़ारा ले रहे हैं । चिंताओं से दूर दृश्यावलोकन अच्छा लगता है ।
    2 hours ago · Unlike · 2

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