Sunday, July 20, 2014

कलम से _ _ _ _

(इस कविता का सूत्रपात हमारे नागर प्रवास के समय का है,बस पोस्ट करने के लिए सावन का इंतजार था।)

Camp: Naggar Castle
Himachal

कागा अटरिया बैठ
बुला रहा है
आमंत्रण दे रहा है
आ जाओ
स्वागत की तैय्यारी है
थाल सजाके टीके की
राह जोत रही प्यारी है।

कागा अटरिया बैठ--------

प्रियतम सुन लो मेरी बात
करो न मुझे तुम हताश
टिकट कटा शीघ्र
आ जाओ मेरे पास
पल पल बढती बेकरारी है।

कागा अटरिया बैठ-------

बदरा आए
सावन आया
तुम न आए
क्या है ये कोई अच्छी बात
कहा हमारा मानो तुम
छोडछाड आजाओ सब आज।

कागा अटरिया बैठ-----

रंग हरे की तुम्हारी पोशाक
दिख रही है दूर से आज
हवा का रुख भी बदला बदला है
लगने लगा मुझे अब है
तुम हो कहीं आसपास।

कागा अटरिया बैठ--------

//surendrapal singh//
07182014

http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 46 others.
Photo: कलम से _ _ _ _

(इस कविता का सूत्रपात हमारे नागर प्रवास के समय का है,बस पोस्ट करने के लिए सावन का इंतजार था।)

Camp: Naggar Castle
 Himachal

कागा अटरिया बैठ
बुला रहा है
आमंत्रण दे रहा है
आ जाओ
स्वागत की तैय्यारी है 
थाल सजाके टीके की 
राह जोत रही प्यारी है।

कागा अटरिया बैठ--------

प्रियतम सुन लो मेरी बात
करो न मुझे तुम हताश
टिकट कटा शीघ्र
आ जाओ मेरे पास
पल पल बढती बेकरारी है।

कागा अटरिया बैठ-------

बदरा आए
सावन आया
तुम न आए
क्या है ये कोई अच्छी बात
कहा हमारा मानो तुम 
छोडछाड आजाओ सब आज।

कागा अटरिया बैठ-----

रंग हरे की तुम्हारी पोशाक
दिख रही है दूर से आज
हवा का रुख भी बदला बदला है
लगने लगा मुझे अब है 
तुम हो कहीं आसपास।

कागा अटरिया बैठ--------

//surendrapal singh//
07182014

 http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Suresh Chadha Ati Uttam Rachna sir ji
    Kaga betha Atariya kere pukar 
    Sawan ki is bela mae kare intezar .
    Bahar pare rim jhim fuhar
  • Harihar Singh बहतरीन रंग भरे है आपने।See Translation
  • Dhiraj Kumar अति सुन्दर .....सर
  • Ishwar Dass beautiful
  • Ram Saran Singh आसपास होने पर ही बेचैनी बढ़ जाती है । बढ़िया भाव पिरोया है महोदय आपने ।
  • Kamalkant Sahoo Vvv g n.....g
  • Kuldeep Singh Chauhan · 2 mutual friends
    Very good night ji. Nice one.
  • S.p. Singh सभी बंधुओं का हार्दिक धन्यवाद।
  • Javed Usmani अति सुंदरSee Translation
  • BN Pandey AB SAMAJH ME AAYAA KI BARASAAT ME ETANI BILAMB KYO HUI HAI. JUB AAP PRABHU US " KAAGAA" KO ETANE DINO SE BUND KARKE RAKH DENGE AUR USE APANI ATARIA PER UCHARANE HI NAHI DENGE TO VO BARISH KA AAHWAAN KAISE KAREGA. KRIPAYA USE JAGAIYE , HOS ME LAAIYE KUCHH DAANA -PAANI DI JIYE .SHAAYAD WAH ATARIYA PER BAITH KER PHIR UCHAARE................SUPRABHAT
  • S.p. Singh सच। बहुत ही अच्छा लगा आपका कमेन्ट।
  • BN Pandey DHANYBAAD SIR. AAP JUB KUCHH POST KARATE HAI HUM LIKHANE KO BADHY HO JAATE HAI
  • S.p. Singh पाडें जी इन सुदंर चर्चा के माध्यम से ही हम लोग जुडे रहते हैं। एक दूसरे के हाल चाल मिल जाते हैं।
    कुछ मित्र ऐसे भी हैं जो रसास्वादन तो करते हैं पर आपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते हैं।
    अब तो हमारी मैडम ने भी कुछ कहना शुरू किया है। हमने उनका भी ब्लॉग तैयार कर दिया है। ऊनके पोस्ट पर ब्लॉग का लिंक है। उनकी लेखनी हमसे भी बढिया है। सादगी से अपनी बात पर बहुत मजबूती से कहती हैं।

    हमारा घर कविता और साहित्य का केन्द्र बिन्दु बन गया है।
  • Rajan Varma वो हमारे ज़माने कि मान्यताऐं थी कि कागा अटरिया पर बैठ कर अपनी सुरीली बाणी बोले तो आवश्य कोई मेहमान अथवा पाती के आने की संभावना है; अब पाती का तो ज़माना ही न रहा अौर मेहमान को देख कर हम बाहर से कुँडी लगा कर अंदर बंद हो जाते हैं; सावन मेहमान का शायद खुले दिल से स्वागत करते हों- आज के तंगदिल इसां ?
  • BN Pandey VARMA JI KI BEBAAK BAATE DIL KO BAAG - BAAG KER DETI HAI..ESI LIYE KAHA HAI KI..........." JO LOG SACHCHI BAAT MOFUT MUH PER HI BOL DETE HAI WAH KABHI DAGAABAAZ YA JHUTHE NAHI HOTE.
  • BN Pandey SINGH SB. AAP DONO KI JORI UPER WALE NE VISHESH SHUBH MUHURT ME BANAAYI THA. AISE BAHUT KUM LOG HOTE HAI JINME EK TARAH KI KALAA SAMAAN ROOP SE JHALKATI HO. HUM SUB KI DHER SAARI SHUBH KAMANAYEAAP DONO KO
  • Sp Tripathi इस रचना को पढ़ने के बाद मै 50 साल पूर्व के माहौल को याद करने लगा । उस समय प्रकृति एवं प्रेम ही रचना का केन्द्र हुआ करते थे ।See Translation
  • S.p. Singh मेरा मंतव्य पूरा हुआ कविता के माध्यम से कुछ कह पाने का। 
    पाठकों ने इसे ह्रदय से स्वीकारा और खुलकर अपनी प्रतिक्रयाएं दीं। इन प्रतिक्रयाओं से मुझे आनेवाले समय में किस प्रकार की रचना करनी चाहिए इसका ज्ञान होने लगा है।
    सभी मित्रों का आभार व्यक्त करता हूँ।
  • Ajay Kumar Misra आप सभी मित्रोँ के विचार बहुत अच्छे लगे, आप सभी लोगोँ का धन्यवाद।See Translation

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