Wednesday, July 23, 2014

सूनी पडी हैं वो गलियां जहां भीड बेइन्तहा रहती थी

सुप्रभात दोस्तों।

सूनी पडी हैं वो गलियां जहां भीड बेइन्तहा रहती थी
सूना पडा है आसमां जहां चिडियां उडान भरती थी
न बदली न एक टुकडा बादल का इस सावन में
जहां कभी बिजलिओं की घडघढाहट हुआ करती थी।

आपका भगवान मंगल करें यही प्रभु से प्रार्थना है मेरी।
Photo: सुप्रभात दोस्तों।

सूनी पडी हैं वो गलियां जहां भीड बेइन्तहा रहती थी
सूना पडा है आसमां जहां चिडियां उडान भरती थी
न बदली न एक टुकडा बादल का इस सावन में
जहां कभी बिजलिओं की घडघढाहट हुआ करती थी।

आपका भगवान मंगल करें यही प्रभु से प्रार्थना है मेरी।

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