Monday, July 21, 2014

चम्पा के दो फूल।

कलम से _ _ _ _

चम्पा के दो फूल।

दौ फूलन कै लयै सिगरें फिरे हैं,
बिने लैके मैं मंदिर आय गयो हूँ,
एक फूल अपने कनहाई कै लयै,
दूजौ राधा पियारी चढाय रयो हूँ।

चम्पा के फूल की गन्ध ऐसी चढी है,
मथुरा वृन्दावन नगरिया छानि लई है,
जायकें दौ फूल मुश्किलन सें मिले हैं,
चलत चलत पैरन में फफोले पडे हैं।

चम्पा की जि कहानी जबसें सुनी है
तबई से दिल के भीतर समाय गई है:-

’’चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास,
अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास,
रूप तेज तो राधिके, अरु भँवर कृष्ण को दास,
इस मर्यादा के लिये भँवर न आयें पास।"

राधे राधे कहने की मितवा लगी है आग,
बुझे न बुझे अब मैं रहूंगी सदा तेरे पास।

जय जय श्री राधे जय जय श्री गोपाल,
बना ले प्रभु मुझको तू अपना एक दास।।

//surendrapal singh//

07202014

http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.

Photo: कलम से _ _ _ _

चम्पा के दो फूल।

दौ फूलन कै लयै सिगरें फिरे हैं,
बिने लैके मैं मंदिर आय गयो हूँ,
एक फूल अपने कनहाई कै लयै,
दूजौ राधा पियारी चढाय रयो हूँ।

चम्पा के फूल की गन्ध ऐसी चढी है,
मथुरा वृन्दावन नगरिया छानि लई है,
जायकें दौ फूल मुश्किलन सें मिले हैं,
चलत चलत पैरन में फफोले पडे हैं।

चम्पा की जि कहानी जबसें सुनी है
तबई से दिल के भीतर समाय गई है:-

’’चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास, 
अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास,
रूप तेज तो राधिके, अरु भँवर कृष्ण को दास, 
इस मर्यादा के लिये भँवर न आयें पास।"

राधे राधे कहने की मितवा लगी है आग,
बुझे न बुझे अब मैं रहूंगी सदा तेरे पास।

जय जय श्री राधे जय जय श्री गोपाल,
बना ले प्रभु मुझको तू अपना एक दास।।

//surendrapal singh//

07202014

 http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/

6 comments:

  1. This poem brings out some of the little known fats about flower of Chamapa. Infact, this flower is considered to be the best offering to the God. In south India this flower is used in worship of Lord Vishnu and Ganesha.

    Honey Bee will ever sit on this flower as it is known to be favorite of Radha and Krishna.

    ReplyDelete
  2. चम्पा तुझमें तीन गुण-रंग रूप और वास,
    अवगुण तुझमें एक ही भँवर न आयें पास,
    ..बहुत सुन्दर ..
    सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. कविता जी बहुत धन्यवाद।
      चम्पा के वारे में जो मैं जानता हूँ उसे इस कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।

      Delete
    2. आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete
  3. बहुत बहुत धन्यवाद।शुक्रिया महोदय।

    ReplyDelete