Monday, July 14, 2014

सुबह सुबह

कलम से _ _ _ _

13th July, 2014

सुबह सुबह
का 
वो जल्दी
उठना,
वहाँ
पहुंचना
जहाँ,
मेरे महबूब
का
होगा आना।

होंठ
को दबाकर
उनका
मुस्कुराना,
कुछ
था जलवा
उनका ऐसा
मेरा
उन पर
फिदा हो जाना।

भुलाया न जाए वो गुजारा जमाना,
होता था इश्क ऐसे मेरी जाने जाना।

http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 46 others.
Photo: कलम से _ _ _ _

13th July, 2014

सुबह सुबह
का 
वो जल्दी
उठना,
वहाँ
पहुंचना
जहाँ,
मेरे महबूब
का 
होगा आना।

होंठ
को दबाकर
उनका
मुस्कुराना, 
कुछ
था जलवा
उनका ऐसा
मेरा
उन पर
फिदा हो जाना।

भुलाया न जाए वो गुजारा जमाना,
होता था इश्क ऐसे मेरी जाने जाना।

http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

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