Wednesday, July 23, 2014

कदम्ब की डाली पै सखियाँ झूला डारि रई है, जमुना के मीठे पानी सौ गोपियां नहाय रई हैं।


कलम से _ _ _ _

कदम्ब की डाली पै सखियाँ झूला डारि रई है,
जमुना के मीठे पानी सौ गोपियां नहाय रई हैं।

सावन की अधेंरी रातन में राधा आय रई हैं,
कान्हा संग रास खेलन कों आय रई हैं।

महावर दोनों पैरन में खूब रचाइ लयी है,
काजल सों आँखे सलोनी बनाय लई हैं।

गालन पै लाली बडी सुहानी छाय रही है,
बेला चमेली फूलन सें वेणी लहराय रई है।

सोलह श्रृंगार कर राधा रानी आय रई है,
संग रास रचाइवें कान्हा कौ बुलाय रई है।

निधिवन में राधा हौले हौले जाय रई है,
रंग हाथ लयें मुरलीधर वाट जोय रये हैं।

रात सारी रंगीन रहेगी मांग राधे की सजेगी,
वृन्दावन के लोग लुगाइंया मद मस्त रहेगीं।

(उठ जाग घुराड़े मार नहीं, एह सौण तेरे दरकार नहीं- बुल्लेह शाह जी हमें उठने अौर सोलह-श्रृंगार हेतु प्रेरित करते हैं।
मैने प्रयास किया है कि उपरोक्त भाव राधा कृष्ण की रासलीला में पिरोया जाय।)

//surendrapal singh//

07232014

http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.

Photo: कलम से _ _ _ _

कदम्ब की डाली पै सखियाँ झूला डारि रई है,
जमुना के मीठे पानी सौ गोपियां नहाय रई हैं।

सावन की अधेंरी रातन में राधा आय रई हैं,
कान्हा संग रास खेलन कों आय रई हैं।

महावर दोनों पैरन में खूब रचाइ लयी है,
काजल सों आँखे सलोनी बनाय लई हैं।

गालन पै लाली बडी सुहानी छाय रही है,  
बेला चमेली फूलन सें वेणी लहराय रई है।

सोलह श्रृंगार कर राधा रानी आय रई है,
संग रास रचाइवें कान्हा कौ बुलाय रई है।

निधिवन में राधा हौले हौले जाय रई है,
रंग हाथ लयें मुरलीधर वाट जोय रये हैं।

रात सारी रंगीन रहेगी मांग राधे की सजेगी,
वृन्दावन के लोग लुगाइंया मद मस्त रहेगीं।

(उठ जाग घुराड़े मार नहीं, एह सौण तेरे दरकार नहीं- बुल्लेह शाह जी हमें उठने अौर सोलह-श्रृंगार हेतु प्रेरित करते हैं। 
मैने प्रयास किया है कि उपरोक्त भाव राधा कृष्ण की रासलीला में पिरोया जाय।)

//surendrapal singh//

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  • Puneet Chowdhary Sir such a beautiful and minute description of lover of krishna.I can only say radhey radhey and not radhashyam
    4 hours ago · Edited · Unlike · 2
  • Rajan Varma बहुत खूब सिहँ साहब- दरअसल राधा जी का समर्पित प्रेम अपने कान्हा के प्रति अपने आप में सोलह-श्रृंगार से कम नहीं है- उनके प्रेम के समक्ष भक्ति अौर तपस्या भी कुछ मायने नहीं रखती; प्रेम का महात्म प्रभु को सर्वप्रिय है- कोई प्रेम से पुकार कर तो देखे कैसे सब छोड़-छाड़ कर दौड़े चले आते हैं- शर्त बस एक ही है- हमारी पुकार प्रभु को पाने मात्र के लिये होनी चाहिये- न कि उसकी बनाई सृष्टि के उत्पादों (धन-दौलत, अोहदा, मान-मर्यादा, पुत्र-पौत्र इत्यादि) को पाने के लिये-
    3 hours ago · Unlike · 4
  • S.p. Singh बहुत बहुत धन्यवाद राजन जी।
    3 hours ago · Like · 1
  • Harihar Singh बहतरीन प्रस्तुतिSee Translation
    3 hours ago · Like · 1
  • Ram Saran Singh कृष्ण और राधा का वर्णन शायद ही ऐसा कोई भारतीय हो जिसे मन न भाए । और उसमें जब आपकी कल्पना की चासनी लग जाए तो फिर क्या कहना । हाँ एक बात मैं जानना चाहूँगा कि क्या आपने इसे ब्रज बोली में लिखा है ? जानने की उत्सुकता है । धन्यवाद ।
    3 hours ago · Edited · Like · 1
  • Sp Tripathi बहुत मनभावन रचना लगी ।।See Translation
    3 hours ago · Edited · Like · 1
  • Ajay Kumar Misra राधे-राधे कहना पड़ेगा, सर
    खूबसूरत रचना की आपने ।
    See Translation
  • Arun Kumar Singh है है रे मजबुरी ,ये मौसम और ये दूरी तेरी दो टकिया की नौकरी पे मेरा लाखो का सावन जाये
  • S.p. Singh जी हाँ। बृज मंडल में आम बोलचाल की भाषा कहूं तो अधिक उचित होगा।
    मथुरा वृन्दावन के आसपास की भाषा और भी मीठी है। मसलन "तुम कितकूं जाय रये हो" यही थोडी दाएँ वाएँ कुछ इस प्रकार वोली जाती है " तू कनंकौ जाय रयो है"। फर्क मामूली है पर फिर भी है।हम भी आसपास के
    ...See More
  • S.p. Singh राजन जी, 
    आपकी प्रेरणा से इस कविता का जन्म हुआ है। सम्पूर्ण श्रेय आपके नाम।
    ...See More
  • S.p. Singh सभी मित्रों का आभारी हूँ सहयोग और टिप्पणियों के लिए।
  • Rajan Varma SP सर आप नाहक श्रेय मुझे दे रहे हैं जिस पर मेरा आधिकार नहीं है- वो अलग बात है कि प्रेरणा स्रोत एक निर्जीव पत्थर भी हो सकता है; सादर आभार
  • Arun Sharma अति सुंदर रचना सर जी
  • Krishna Kumud Tewari अतुकान्त से तुकान्त.. रचनायें..!! ..वह भी अपनी नहीं.. ब्रज भाषा में..!! ..सर, कम्माल की लगन.. कोशिश..संयम और ऊर्जा है आपमें.. अतुलनीय...।
    सर, क्या आपने तुकन्त रचनाओं में 'मात्राओं' का प्रयोग भी किया है क्या ।


//surendrapal singh//

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2 comments:

  1. सावन की फुहारों के बीच यह रचना बहुत उपयोगी लगी।
    --
    सुन्दर ग़ज़लनुमा नज़्म।

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  2. आपका ह्रदय से आशीर्वाद के लिए धन्यवाद।कृपादृष्टि बनाये रहें।

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