Monday, July 28, 2014

हम बंधन मे बधंते जाते हैं

कलम से _ _ _ _

हम बंधन मे बधंते जाते हैं,
मन ही मन अकुलाते हैं,
कुंठा,आक्रोश, अशांति
घनघोर छाने लगती है,
रास्ते बंद सब हो जाते हैं,
फिर भी बंधन मन भाते हैं।

देखो, समझो, लो जीवन से सीख,
पैदा न हो मन मे कोई खीज,
हर दिन को समझो त्योहार यहाँ
कभी दूज और कभी तीज ।

सात रंगों से सजे प्रकृति,
सात रंग की होती सरगम,
सप्तपदी से ही ग्रहस्थ जीवन,
पर स्वीकार नही कोई बंधन।

बाँधा नहीं फिर भी किसी ने,
परिभाषित न हो पाई सरगम,
कितने सुंदर राग-रागिनी,
स्वछंद, मुक्त हो करते अभिनदंन,
नहीं है, कोई इन पर बंधन ।

फिर बंधन से हम क्यों बिधंते जाते,
बंधन मे क्यों हैं बधंते जाते?

//surendrapalsingh//
07 28 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से _ _ _ _

हम बंधन मे बधंते जाते हैं,
मन ही मन अकुलाते हैं,
कुंठा,आक्रोश, अशांति
घनघोर छाने लगती है,
रास्ते बंद सब हो जाते हैं,
फिर भी बंधन मन भाते हैं।

देखो, समझो, लो जीवन से सीख,
पैदा न हो मन मे कोई खीज,
हर दिन को समझो त्योहार यहाँ
कभी दूज और कभी तीज ।

सात रंगों से सजे प्रकृति,
सात रंग की होती सरगम,
सप्तपदी से ही ग्रहस्थ जीवन,
पर स्वीकार नही कोई बंधन।

बाँधा नहीं फिर भी किसी ने,
परिभाषित न हो पाई सरगम,
कितने सुंदर राग-रागिनी,
स्वछंद, मुक्त हो करते अभिनदंन,
नहीं है, कोई इन पर बंधन ।

फिर बंधन से हम क्यों बिधंते जाते,
बंधन मे क्यों हैं बधंते जाते?

//surendrapalsingh//
07 28 2014

 http://1945spsingh.blogspot.in/

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http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Sp Tripathi कविता सारगर्भित है । जीवन सुखी बने हर कोई चाहता है पर मार्ग सही नहीं ढूँढ पाता ।।See Translation
    10 hours ago · Like · 2
  • Rajan Varma बहुत खूबसूरत परिभाषा बंधन अौर बंधन से मुक्त होने का संकेत- सात सुरों में बंध कर भी सरगम स्वछंद है- नये-नये राग-रागिनी निर्मित करने के लिये; सात फ़ेरों अौर सात वचनों में बंधने के बावाजूद बंधन का फ़ंदा न महसूस कर- नित नई उड़ान भरने की स्वतन्त्रता अौर स्फुर्ति का अनुभव करना जीवन-रूपी गाड़ी को सुख-शांति से दौड़ने मे सहायक होती है; ये तभी संभव है जब हम अपने बंधन (अपनी भार्या, पत्नी, हमसफ़र) में अपना पूर्ण विश्वास स्थापित कर, अपने हर छोटे-बड़े कार्य में साथ ले कर आगे बढ़ें तो बंधन, बंधन न लग कर catalyst की तरह काम करेगा अौर मनुष्य को उच्चत्तम शिखर तक ले जायेगा; 
    बहुत सुन्दर उभारा अौर संवारा है बंधन का मुद्दा आपने सर
    10 hours ago · Unlike · 2
  • Harihar Singh बहतरीन रचना।बधाईSee Translation
    10 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh मुझे प्रसन्नता हुई है। आपको कविता में भाव पसंद आया।
    मेरी तरफ से हर बार कोशिश यही रहती है कि मैं आप लोगोंकी आशानुकूल लिख सकूँ।
    बहुत बहुत शुक्रिया।
    10 hours ago · Edited · Unlike · 5
  • Ram Saran Singh महोदय बंधन दिल का हो तो अच्छा है । लेकिन यदि बंधन से आत्मा का नाश होता हो तो निजात पाना बेहतर ।
    9 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh जी बिल्कुल सही फरमाया है।
    9 hours ago · Like · 1

1 comment:

  1. यह मेरी सुदंर तम रचनाओं में से एक है।

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