Monday, July 28, 2014

07 29 2014 सुप्रभात मित्रों।

कलम से _ _ _ _
07 29 2014

सुप्रभात मित्रों।

झरोखे के पीछे से झांकती, जिदंगी। 
बरसात जोर से हो,
इस आस में जिदंगी।

गरम हो रहे थे हम
बरसे वह बस कुछ छण
बरसे तेज थे
नाले परनाले बह निकले थे
करते हैं हम इंतजार
दुबारा फिर आएं
बरसें अबके सावन में जोरदार।

कल रात काफी देर बाद तक ............

घर में हम तीन प्राणी हैं। दो(मेरी पोती एवं धर्मपत्नी) सो गये हैं। मैं हूँ, मुझे नींद नहीं आ रही है, बालकनी में बैठ शांत मन से आकाश को निहार रहा हूँ।

चंचल बदली का एक टुकडा अठखेलियां कर रहा है। इसके बुजुर्ग शाम आकर बरस गये थे। लोगों का गुस्सा कुछ हद तक शांत कर गये थे।

ईद का चादं मैंने नहीं, देखा। मेरी तरह और भी कई होंगे जिन्होंने ने नहीं देखा होगा। किसी ने देखा और जमाने ने मान लिया। ऐलान हो गया कि कल ईद है।

हम खुश हैं, जमाने के साथ हम भी हैं। त्यौहार की खुशियां में शरीक भी होगें।

कोई ईदी का हकदार होगा, हमको सिवंई खाने को मिलेंगी। लोग गले चिपट के मिल ईद की खुशी बांट लेगें।

ईद मन जायेगी। परसों तीज भी हो जायेगी।

हमारा मुल्क यूंही त्योहार मनाता हुआ आगे बढता जाएगा। हर रोज कुछ नये सपने बनेगें, कुछ पूरे होगें, कुछ अधूरे रहेगें। रफ्ता रफ्ता जिदंगी भी आगे बढ़ती रहेगी........

आमीन।

//surendrapal singh//
07 29 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
Photo: कलम से _ _ _ _
07 29 2014

सुप्रभातमित्रों।

झरोखे के पीछे से झांकती, जिदंगी। 
बरसात जोर से हो, 
इस आस में जिदंगी।

गरम हो रहे थे हम
बरसे वह बस कुछ छण
बरसे तेज थे
नाले परनाले बह निकले थे
करते हैं हम इंतजार
दुबारा फिर आएं
बरसें अबके सावन में जोरदार।

कल रात काफी देर बाद तक ............

घर में हम तीन प्राणी हैं। दो(मेरी पोती एवं धर्मपत्नी) सो गये हैं। मैं हूँ, मुझे नींद नहीं आ रही है, बालकनी में बैठ शांत मन से आकाश को निहार रहा हूँ।

चंचल बदली का एक टुकडा अठखेलियां कर रहा है। इसके बुजुर्ग शाम आकर बरस गये थे। लोगों का गुस्सा कुछ हद तक शांत कर गये थे।

ईद का चादं मैंने नहीं, देखा। मेरी तरह और भी कई होंगे जिन्होंने ने नहीं देखा होगा। किसी ने देखा और जमाने ने मान लिया। ऐलान हो गया कि कल ईद है।

हम खुश हैं, जमाने के साथ हम भी हैं। त्यौहार की खुशियां में शरीक भी होगें।

कोई ईदी का हकदार होगा, हमको सिवंई खाने को मिलेंगी। लोग गले चिपट के मिल ईद की खुशी बांट लेगें।

ईद मन जायेगी। परसों तीज भी हो जायेगी।

हमारा मुल्क यूंही त्योहार मनाता हुआ आगे बढता जाएगा। हर रोज कुछ नये सपने बनेगें, कुछ पूरे होगें, कुछ अधूरे रहेगें। रफ्ता रफ्ता जिदंगी भी आगे बढ़ती रहेगी........

आमीन।

//surendrapal singh//
07 29 2014

 http://1945spsingh.blogspot.in/

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Harihar Singh राधे राधे शुभ प्रभात एसपी सिंह जीSee Translation
    6 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh राधे राधे हरिहर भाई।
    6 hours ago · Unlike · 1
  • Rajan Varma राधे राधे सर- 'रफ्ता-रफ्‍ता जिदंगी आगे बढ़ती रहेगी' इस शाश्वत सत्य को स्वीकार करना अौर आने वाले कल की तस्वीर सामने दीवार पर देखना- हमारे आज के कर्मों में सुधार अवश्य करेगा ये चिंतन-मनन
    4 hours ago · Unlike · 2
  • Ram Saran Singh एकांत बालकनी से शुरू होकर कविता समाज को समेटते हुए परंपराओं का निर्वाह करते हुए आगे बढ़ रही है । बढ़िया लगी ।
    2 hours ago · Unlike · 1
  • Arun Kumar Singh Good morning Sir
    2 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh सही कहा आपने परम्पराओं को निभाना भी है जिदंगी को भी चलाना जरूरी है।
    धन्यवाद।
  • S.p. Singh Good morning.
    2 hours ago · Unlike · 1
  • Devendra Kumar Yadav शुभ प्रभात।
    2 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh सुप्रभात डीके।
  • BN Pandey SIR KAI DIN GAALI SUNAANE KE BAAD TO INDR ROYE HAI YE UNKE AANSOO THE .ASALI BAARISH BAAKI HAI.........YE TO SAPANO KAA BAARISH THAA
  • S.p. Singh अबकी गये ये फिर भादों में लौटेगें,
    तब न जाने मेरे कन्हिया मथुरा से गोकुल कैसे पहुचेंगे।
  • Ishwar Dass good morning

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