Sunday, July 13, 2014

निराशाऔ के बीच दूर कहीं दिखता है उजाला !

कलम से ....

निराशाऔ के बीच दूर कहीं दिखता है उजाला,
हरदिन सूरज उगता है तब होता है सबेरा।
प्रकृति का यही नियम है,
नित नये सपने बुनो और काम अपना करो, 
छोडो न जीवन किसी के सहारे ।

शाम होने पर अंधेरा होने से पहले लौट लो अपने बसेरे
पझी भी अपनी राह पकडते है अंधेरा होने के पहले ।

फिर एक दिन शान्ती छाएगी
जीवन मे हमारे,
ऊसी छण छोड चल देना
रब के द्वारे.......
 — with Ramaa Singh.
Photo: कलम से ....

निराशाऔ के बीच दूर कहीं दिखता है उजाला,
हरदिन सूरज उगता है तब होता है सबेरा।
प्रकृति का यही  नियम है,
नित नये सपने बुनो और काम अपना करो, 
छोडो न जीवन किसी के सहारे ।

शाम होने पर अंधेरा होने से पहले लौट लो अपने बसेरे
पझी भी अपनी राह पकडते है अंधेरा होने के पहले ।

फिर एक दिन शान्ती छाएगी
जीवन मे हमारे,
ऊसी छण छोड चल देना
रब के द्वारे.......

No comments:

Post a Comment