Friday, July 18, 2014

मौजी मन इधर उधर बहका रहता है मौसम के हिसाब से चला करता है।


कलम से _ _ _ _

मौजी मन इधर उधर बहका रहता है
मौसम के हिसाब से चला करता है।

गरमी पडती जब कभी इधर कभी उधर,
ठंडी जगह की तलाश में भटका करता है।

बारिश का इंतजार बेकरारी से करता है,
बाढ आते ही किनारा पकडने की कोशिश करता है।

कार्तिक के शीघ्र जा आने की पूजा करता है,
दशहरा दिवाली मना के खुश बहुत होता है।

कुहासी शाम में महबूब के साथ रहने को मन करता है,
रजाई में भीतर घुस लंबी रातों को सोने को मन करता है।

बसंत आते ही होली मनाने को मन बाहर भागा फिरता है,
फूल खिले हैं गुलशन गुलशन जीवन महकाने को मन करता है।

भाग्यशाली हैं हम कितने कैसे कैसे सुख भोग रहे हैं
परम पिता परमेश्वर के अधीन फिर भी मानते क्यों नहीं हैं?


//surendrapal singh//

07182014

http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/


  • BN PandeyRema NairSp Tripathi and 32 others like this.
  • Javed Usmani सब नश्वर है सिवाए, अंतिम सत्य के,इसलिए स्थायित्व का बोध वही होता है ,शेष उस सत्य के सहयोगी है उसमे समहित हो जाते हैSee Translation
    20 hours ago · Edited · Unlike · 2
  • Deobansh Dubey सुंदर कृति।
    20 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh अति सुन्दर जावेद भाई जी। हार्दिक धन्यवाद।
  • S.p. Singh बहुत बहुत धन्यवाद दुवे जी।
  • Ram Saran Singh मन स्वभावत: चंचल होता है । हर शै पर जाता है फिर उबन होने लगती है । परिवर्तन का यह चक्र जारी रहता है । जीवन नए और पुराने में घूमता है । यही परिवर्तन हमें गतिमान बनाता है । आपने बड़ा सटीक चित्रण किया है ।
    20 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh बिलकुल सही कहा है आपने मन की दशा मन ही जाने जो चलायमान है ।या वो प्रभु।
    बहुत बहुत शुक्रिया।
  • Kuldeep Singh Chauhan · 2 mutual friends
    Very good night ji. Nice one
    20 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh सोने वाले को सोना मिले यही दुआ है हमारी। शुभकामनाएं।
    20 hours ago · Like · 2
  • Shreya Singh Raghuvanshi nice 1 mausaji
    19 hours ago · Unlike · 2
  • Harihar Singh बहुत सुन्दर।See Translation
    19 hours ago · Unlike · 3
  • Rajan Varma 'भाग्यशाली हैं हम कितने कैसे-कैसे सुख भोग रहे हैं; परम पिता परमेश्वर के गुण गाने का मन करता है'- सत्य ही आप बहुत भाग्यशाली हैं कि आपका मन भगवद्-भजन में लगता है वरना मन संसार के सारे कामों में तो व्यस्त रहता है, मस्त रहता है अौर प्रभु स्मरण के समय- प्रथम/द्वितीय पहर- सोया रहता है; मन के चंचल स्वभाव का बहुत अच्छा चित्रण किया है- मन का सव्भाव ही है कि किसी भी एक वस्तु/व्यक्ति/परिस्थित से बंध कर खुश नहीं रहता- निरंतर बदलाव चाहिये ही चाहिये- दो ही विशेषतायें हैं;
    १- अौर चाहिये, अौर चाहिये, अौर चाहिये
    २- बेहतर चाहिये, बेहतर चाहिये, अौर बेहतर चाहिये
    19 hours ago · Unlike · 3
  • Ajay Jain ek sundar Visay ka manmohak rango dwara chitran jisme kAVIVAR KI BHAVNA VYAKT HOTI HE
    19 hours ago · Unlike · 4
  • Ajay Jain sHUB RATRI MITRO---
    19 hours ago · Unlike · 2
  • Neeraj Saxena · Friends with Harihar Singh and 2 others
    Bahut sunder
    18 hours ago · Unlike · 2
  • Sk Kushwaha · Friends with Subhash Yadava and 2 others
    Bahut sunder sir ji.
    13 hours ago · Unlike · 2
  • BN Pandey YE MUN BARAA CHANCHAL HAI.SUB KUCH KARE LEKIN EK SEEMA TUK. MUN EK JHOOLA KI TARAH HAI JITANA AAGE BHAGEGAA USI SPEED SE VAAPAS AATAA HAI.............KITANA AUR KIS DISHAA ME PEG BHARANAA HAI APANA NIYANTAN NAHI KHONAA HAI................EK SUNDER RACHANAA
    2 hours ago · Like · 1

No comments:

Post a Comment