Sunday, July 20, 2014

ऊँची ऊँची अट्टालिकायें, ऊँचे लोग !

कलम से _ _ _ _

ऊँची ऊँची
अट्टालिकायें
ऊँचे लोग
ऊँची उडान की तमन्ना
ऊँचे और ऊँचे जाने का लक्ष्य
पक्षी भी तो यही करते हैं
थक जाते हैं
घोंसले पर उड वापस आ जाते हैं
निगाह नीची कर ऊचाईयों को भांप लेते हैं
ऊँचे लोगों की निगाह नीची होती है
तो नजरों में गिर जाते हैं।

गिरकर भी
उन्हें जमीन से जुडा इंसा नजर नहीं आता है
गिरे हुए को उठाना तो दूर
इन्हें सहारा देना भी नहीं भाता है।

कैसे दूर होंगी विषमताएं समाज की
यहाँ इनसान को इनसान नजर नहीं आता है।

//surendrapal singh//

07212014

http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

and

http://spsinghamaur.blogspot.in/

Photo: कलम से _ _ _ _

ऊँची ऊँची
अट्टालिकायें
ऊँचे लोग
ऊँची उडान की तमन्ना
ऊँचे और ऊँचे जाने का लक्ष्य
पक्षी भी तो यही करते हैं
थक जाते हैं
घोंसले पर उड वापस आ जाते हैं
निगाह नीची कर ऊचाईयों को भांप लेते हैं
ऊँचे लोगों की निगाह नीची होती है
तो नजरों में गिर जाते हैं।

गिरकर भी
उन्हें जमीन से जुडा इंसा नजर नहीं आता है
गिरे हुए को उठाना तो दूर 
इन्हें सहारा देना भी नहीं भाता है।

कैसे दूर होंगी विषमताएं समाज की
यहाँ इनसान को इनसान नजर नहीं आता है।

//surendrapal singh//

07212014

 http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

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  • Rajan Varma and Sp Dwivedi like this.
  • Rajan Varma ऊँचें लोग ऊँची उड़ान अौर ऊँची उड़ान भरते-भरते ऊँचे उठते हैं कि नहीं पर ऊपर ज़रूर उठ जाते हैं पर- बिन घर-वापिसी की टिकट ले कर- it is a one-way ticket to an unknown land where you have everything less family-life; इन्हे अपने परिवार के सदस्य नज़र नहीं आते समाज का ग़रीब तबका क्या खाक नज़र आयेगा-
    38 minutes ago · Unlike · 1
    • BN Pandey AAM KI DAAL ME HAI KALAM NEEM KI AAP KAHATE HAI YE PHAL SAFAL CHAHIYE, SABHYATAA KA TO MILO PATAA HI NAHI AAP KAHATE HAI USKI NAKAL CHAAHIYE.........KUCHH NAHI CHAAHIYE, BANDHU YADI CHAHIYE SUCH TO YE HAI KI MAANAV ASAL CHAAHIYE
      10 hours ago · Like · 2
    • S.p. Singh मानव की असलीयत पर सुदंर कटाक्ष किया है भगवन पाडें जी आपने।
      धन्यवाद।
      10 hours ago · Edited · Like · 2
    • BN Pandey SHUKRIA SIR. AAP MUDDA HI AISA RAKH DETE HAI BOL BURBUS NIKAL PARATE HAI
      10 hours ago · Unlike · 2
    • Sp Tripathi सामाजिक विषमताएँ तो सदैव एवं सर्वत्र व्याप्त है । तथाकथित विकसित देशों मेरे यह अन्तर यदि 20:200 है तो विकासशील देशों में यह 1:100 है । हमारे देश का ग़रीब 50 डालर महीने का है यही अमेरिका मे 1500 डालर का है ।See Translation
      10 hours ago · Unlike · 3
    • Ram Saran Singh वाह आदरणीय, आपने इस रचना से अंतर्मन में झाँकने का मौक़ा दिया है । अंत में पाँव ज़मीन पर ही ठहरते है । बहुत बढ़िया ।
      9 hours ago · Unlike · 1
    • S.p. Singh सभी मित्रों का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
    • Harihar Singh यहां आदमी को इन्सान नजर नही आता बहतरीन शब्द पिरोये है।See Translation
      5 hours ago · Unlike · 1
    • S.p. Singh बहुत बहुत शुक्रिया हरि हर भाई।
    • आशीष कैलाश तिवारी हॉ हॉ हॉ,,, सर। इसका नाम 'अंतिला' नहीं 'अंत ही ना' होना चाहिएSee Translation
      3 hours ago · Unlike · 1
    • S.p. Singh

1 comment:

  1. Society is fast degrading and hardly any takers of the poor and destitute.

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