Tuesday, July 15, 2014

सूरत को तेरी जब से, दिल में उतारा है !



कलम से _ _ _


सूरत को तेरी जब से,
दिल में उतारा है,
हमने आइने से,
मुखातिब होने छोड दिया है,
तेरी आँखों में,
हमें चेहरा अपना नजर आने लगा है।

तू सामने निगाहों के जब तलक रहता है,
लगता है कि मेरा मालिक मेरे साथ रहता है।

करना है तो, मेरे मालिक कुछ ऐसा कर,
और कोई हो न हो,
खुदा गवाह रहे, हमारी इस मुलाकात का ।

//surendrapal singh//

07152014

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