Sunday, July 13, 2014

भारतीय चुनाव का यताथॆ

कलम से .....

भारतीय चुनाव का यताथॆ,
एक हकीकत का बयान:

कौन किसकी लड़ाई लड रहाहै, 
कहना मुश्किल हो रहाहै,
अपनी अपनी ढपली पर,
हर कोई अपना राग अलाप रहाहै।
शुरू हो जाते है सबेरे सबेरे,
स्वर कुछ एसे,
अपना व॓शकीमती वोट बस
देना उनको,
जो हर लैगे सबके कष्ट,
भारत होगा शीघृ, सवॆश्रेषठ।

मीडिया कुछ बिका बिका सा लगता है,
लोग कूछ छले छले से लगते है,
लोकतंत्र के इस बड़े आयोजन मे,
अपनी सहभागिता जो निभानी है,
कोई कह रहाहै कि ऊनकी अबकी लहर है,
मै महसूस कर रहा हू,
हम सब छले जा रहे है,
चलो यह छलावा भी सह लैगे,
सहते ही तो आए है,
आखिर सहते ही तो आए है।
गरीब, गरीब ही रहेगा,
मजदूर बेकार है, बेकार ही रहेगा,
किसान बेवस, बेवस ही रहेगा,
एक आशा है कि कभी अच्छे दिन आएँगे,
सबके दिन बहुरेगे।
Photo: कलम से .....

भारतीय चुनाव का यताथॆ, 
एक हकीकत का बयान:

कौन किसकी लड़ाई लड रहाहै, 
कहना मुश्किल हो रहाहै, 
अपनी अपनी ढपली पर,
हर कोई अपना राग अलाप रहाहै।
शुरू हो जाते है सबेरे सबेरे,
स्वर कुछ एसे,
अपना व॓शकीमती वोट बस
देना उनको,
जो हर लैगे सबके कष्ट,
भारत होगा शीघृ, सवॆश्रेषठ।

मीडिया कुछ बिका बिका सा लगता है,
लोग कूछ छले छले से लगते है,
लोकतंत्र के इस बड़े आयोजन मे,
अपनी सहभागिता जो निभानी है,
कोई कह रहाहै कि ऊनकी अबकी लहर है,
मै महसूस कर रहा हू,
हम सब छले जा रहे है,
चलो यह छलावा भी सह लैगे,
सहते ही तो आए है,
आखिर सहते ही तो आए है।
गरीब, गरीब ही रहेगा,
मजदूर बेकार है, बेकार ही  रहेगा,
किसान  बेवस, बेवस ही रहेगा,
एक आशा है कि कभी अच्छे दिन आएँगे,
सबके दिन बहुरेगे।

No comments:

Post a Comment