Thursday, July 31, 2014

कान्हा यशोदा मैया से..........

कलम से____

कान्हा यशोदा मैया से..........

मैया मेरी रोटी मोय खिलायदे
गइय्यन कों लै जानो है
माखन थोडो सो लगायदे
रोटी के ऊपर
और मठा संग दै दे।

मैया वोली रुक जा लाला
थोडी देर लगैगी
रोटी बनाय लेन दे
लकडिय़ां गीली हैं
परेशान कर रयी हैं।

थोडी देर बाद जब रोटियाँ बन जातीं हैं। मैया मठा लोटे में डाल और रोटी पर मक्खन लगाने जाती हैं तो पता लगता है कि माखन तो है ही नहीं। हांडी तो खाली पडी है। मैया जान लेती है कि लाला सारा माखन पहले ही ऊडा चुके हैं। वह हौले से लाला के पास जा कान पकड बोलती हैं।

अब जानू हूँ कि माखन किनने खायो है
वो मैं सोचूँ हूँ
कि लाला क्यों जल्दी मचाय रयो है।

फिर मैया मुहं आचंल छिपा जोर से हंसने लगती है और कान्हा की पीठ पर प्यार भरी थपकी देती है।

भक्तों के लिए कृष्ण की यह एक अभूतपूर्व एवं अलौकिक लीला है।

//surendrapal singh//

08 01 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/

and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

कान्हा यशोदा मैया से..........

मैया मेरी रोटी मोय खिलायदे
गइय्यन कों लै जानो है
माखन थोडो सो लगायदे
रोटी के ऊपर
और मठा संग दै दे।

मैया वोली रुक जा लाला 
थोडी देर लगैगी
रोटी बनाय लेन दे
लकडिय़ां गीली हैं 
परेशान कर रयी हैं।

थोडी देर बाद जब रोटियाँ बन जातीं हैं। मैया मठा लोटे में डाल और रोटी पर मक्खन लगाने जाती हैं तो पता लगता है कि माखन तो है ही नहीं। हांडी तो खाली पडी है। मैया जान लेती है कि लाला सारा माखन पहले ही ऊडा चुके हैं। वह हौले से लाला के पास जा कान पकड बोलती हैं।

अब जानू हूँ कि माखन किनने खायो है
वो मैं सोचूँ हूँ 
कि लाला क्यों जल्दी मचाय रयो है।

फिर मैया मुहं आचंल छिपा जोर से हंसने लगती है और कान्हा की पीठ पर प्यार भरी थपकी देती है।

भक्तों के लिए कृष्ण की यह एक अभूतपूर्व एवं अलौकिक लीला है।

//surendrapal singh//

08 01 2014

 http://1945spsingh.blogspot.in/

and
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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