Sunday, July 13, 2014

दिल्ली-लखनऊ मेल !

मेरे कुछ दोस्तों ने चाहा है कि भारी भरकम तो जीवन मे होता रहता है कभी कभी कुछ हल्का फुल्का भी होना चाहिए ।

आज की पोस्ट दिल्ली-लखनऊ मेल कुछ इसी रूप मे।

आशीर्वाद मिले तो अच्छा लगेगा ।

कलम से....

दिल्ली के लोग
मस्त अधिक होते है
खाते पीते रहते है
कुछ ज्यादा ही खाते है
थोड़ा ज्यादा पीते है।

जो खाते है
वह जग जाहिर हो जाता है
कुछ इधर कुछ ऊधर नजर आही जाता है
लाख छिपा ने की कोशिश होती है,
अमीरी कहीं छुपती है
वो तो खूब दिखती है
जोर फैशन का रहता है
सोना-चाँदी खूब बिकता है।

हम तो लखनवी है
नजाकत जहाँ बसती है
नाजुक से लोग यहाँ रहते है
यहाँ भी खाते पीते है
पर लिमिट मे रहते है
हुसन गली- गली रहता है
लोगों को दीवाना करे रहता है
लैला की उगंलिया मजनू की पसंलिया कोई ऐसे ही थोड़े कहता है
कहते है कि बेगम जब पीक निगल थी तो गले मे दिखता था
हाँ अब उतना न सही फिर भी हुसन और जवानी गली गली दिखता है।

दोस्तों, दिल्ली दिल वालों की रही है और रहेगी,
लखनऊ, अपने अंदाज और अदा के जानिब जाना जाता है, कुछ ऐसा है, वैसा ही रहेगा ।

मुश्किल होती है ऊनको जब कहना पड़ता है,
बाजारे हुसन, अदब, नजाकत, नफासत से रंगा लखनऊ अपना
दिल्ली अपनी और दिल्ली का दिल भी अपना ।
 — with आशीष कैलाश तिवारी and 18 others.
Photo: मेरे कुछ दोस्तों ने चाहा है कि भारी भरकम तो जीवन मे होता रहता है कभी कभी कुछ हल्का फुल्का भी होना चाहिए ।

आज की पोस्ट दिल्ली-लखनऊ मेल कुछ इसी रूप मे।

आशीर्वाद मिले तो अच्छा लगेगा ।

कलम से....

दिल्ली के लोग
मस्त अधिक होते है
खाते पीते रहते है
कुछ ज्यादा ही खाते है
थोड़ा ज्यादा पीते है।

जो खाते है
वह जग जाहिर हो जाता है
कुछ इधर कुछ ऊधर नजर आही जाता है
लाख छिपा ने की कोशिश होती है,
अमीरी कहीं छुपती है
वो तो खूब दिखती है
जोर फैशन का रहता है
सोना-चाँदी खूब बिकता है।

हम तो लखनवी है
नजाकत जहाँ बसती है
नाजुक से लोग यहाँ रहते है
यहाँ भी खाते पीते है
पर लिमिट मे रहते है
हुसन गली- गली रहता है
लोगों को दीवाना करे रहता है 
लैला की उगंलिया मजनू की पसंलिया कोई ऐसे ही थोड़े कहता है
कहते है कि बेगम जब पीक निगल थी तो गले मे दिखता था
हाँ अब उतना न सही फिर भी हुसन और जवानी गली गली दिखता है।

दोस्तों, दिल्ली दिल वालों की रही है और रहेगी,
लखनऊ, अपने अंदाज और अदा के जानिब जाना जाता है, कुछ ऐसा है, वैसा ही रहेगा ।

मुश्किल होती है ऊनको जब कहना पड़ता है,
बाजारे हुसन, अदब, नजाकत, नफासत से रंगा लखनऊ अपना
दिल्ली अपनी और दिल्ली का दिल भी अपना ।
  • Ishwar Dass Bahut khoob
  • Suresh Chadha Waoiooo kaya Kehna
    Lucknow .. Ka ek apna Nirala. Andaz..hai
  • BN Pandey SIR LUCKNOW ME JO DEKHA ARZ HAI " MAAH DEKHA HAI MAHTAAB DEKHA HAI EK- SE- EK LAZBAAB DEKHA HAI. BAHUK JAAYE KHUDA BHI USI KI KASAM MAINE AISA LAZBAAB DEKHA HAI"
  • Jayshree Verma Bahut hin achcha tal mail kiya hai.
  • SN Gupta दिल्ली वह शहर है जहाँ लोग एक दूसरे की मदद के लिए हर समय तैयार रहते हैं ,जहाँ आज भी छोटे अपने बुजुर्गों के आगे सम्मान में सर झुकाते हैं समय बदला और हालात भी बदलते गए और बदलते हालात के साथ आज बच्चे ,महिलाएं और बुजुर्ग सशंकित रहते है कि ना जाने कहाँ कौन सा खतरा उनका इंतज़ार कर रहा है .महिलाएं अपने घर से निकलने में डर रहीं हैं .चारों ओर एक दहशत का माहौल बना हुआ है और जब इसके बारे में सोचता हूँ तो ख्याल आता है क्या यही दिलवालों कि दिल्ली है जो कि अब दहशत की राजधानी बन चुकी है .
  • S.p. Singh SN Gupta : Still Delhi is city of culture like Lucknow. I would say adminstrators have to get back to their jobs for which they are paid.
  • Sudhir Mohan लाजवाब ..... बहुत ही अच्छी व् सुंदर हे।See Translation
  • Gopal Krishna लखनऊ और दिल्ली का फ़र्क - लखनऊ वाले जीहां जीहां बोलते हैं और दिल्ली वाले हांजी हांजी बोलते हैं.See Translation
  • Suresh Chadha Bahut khoob...sir
    Gopal Krishna ji
  • Dhanendra Kumar Pathak · Friends with Kapil Deo Sharma
    muskaraiye ki hum lucknow me hain...
  • Sp Tripathi बहुत ही पसंदीद लाइनें है इस कविता में ।।See Translation
  • Anil K Garg Sir, Kya baat hai . Aap to Chhaa Gaye Boss ! Get all these published...
  • Kunwar Bahadur Singh jahan basahu soi sunder deshuu. arthat aadmi ke basne ka aadhr kai cheejon se milkar bana hai. chanakya ne bhi bataya hai ki kahan basana chahiye,but nut cell mein jahan aapko dil se chahnewal ho,i understand that is the only place best for you. galat ho to maaf kariyega singh saheb.
  • S.p. Singh Kunwar Bahadur Singh :कुवँर तुम्हारे विचार विलकुल सही है। हम्हे लखनऊ और दिल्ली का विचार हो आया और यह प्रस्तुति बन गयी। निवास तो वहाँ बनता है जहाँ जीवन यापन के साधन होते है।
    कुछ मित्र तो अपनी बात कह देते है, कुछ तो कुछ नहीं कहते जैसे कुछ खो बैठेगे।जो कह देते है स्वागत योग्य है।
    May 3 at 9:37am · Edited · Like · 2
  • S.p. Singh Anil K Garg : इतने सुंदर विचार के लिये धन्यवाद । आपको रचना पसंद आई, अच्छा लगा। यह प्रेम आगे भी बना रहे, यही मनोकामना है।
  • Kunwar Bahadur Singh Thanx a lot sir accepting my views s.p.singh saheb. achha laga.
  • Anil K Garg Sir, I strongly feel that we should have a nice evening with some friends , where you wd recite your so nice & impressive poems , and a few other persons who can give you a little bit competition. It can be contributory , as there wd be lot of drinks & food items. Pl select some place , which can accommodate 15 to 20 persons. Let us go back to memory lane, Sir..
  • Rajani Bhardwaj मुश्किल होती है ऊनको जब कहना पड़ता है,
    बाजारे हुसन, अदब, नजाकत, नफासत से रंगा लखनऊ अपना
    दिल्ली अपनी और दिल्ली का दिल भी अपना ।
    .mukkaml ahsas
    See Translation
  • Puneet Chowdhary Singh sahib very nice piece of creativity
  • S.p. Singh आपके आशीर्वाद के लिऐ कोटि कोटि धन्यवाद ।

    आपके असीम प्यार पा कर मै और उत्साहित महसूस कर रहा हूँ । धन्यवाद ।

No comments:

Post a Comment