Monday, August 25, 2014

बार बार ख्याल एक सताता है होगा कल क्या कुछ समझ नहीं आता है।

सुप्रभात मित्रों।Good morning my dear friends.
08 24 2014

यह घटना कल रात्रि की है। धर्म पत्नी ने कुछ रोटी के टुकड़े खाने के लिए विन्डो ऐसी पर रखते हुए नोटिस किया कबूतर युगल में से अकेले कबूतरी ही है। कबूतर महाराज नदारद हैं।

मैने भी नजर गढ़ा देखा कि वाकई कबूतरी अकेली है।मन में प्रश्न कौधं गया कि कबूतर कहाँ चला गया?
एक विचार बना कि कहीं छोड़ साथ कबूतरी का किसी दूसरी के पास तो नहीं चला गया। अगले ही क्षण इस सभांवना से इन्कार किया पर तसल्ली न मिली। क्योंकि हम लोग इन कबूतर युगल को करीब से जानते हैैं और काफी अरसे से यह हमारी कविता के नायक और नायिका के रूप में हमारे साथ रहे हैं।

अब विचार एक संभावना पर आकर ही केन्द्रित हो गया और अनायास ही इस रूप में फूट पड़ा।

कलम से____

बार बार ख्याल एक सताता है
होगा कल क्या
कुछ समझ नहीं आता है।

सोच कर परेशान बहुत होता हूँ
नहीं रहूँगा एक दिन
मैं जब
क्या करोगी, क्या न करोगी तुम
पहेली सी बन जाती है
प्रश्न खडा बड़ा कर जाती है।

तुम हो
शान्त
निशब्द बनी रहती हो
कुछ नही
कुछ भी नहीं
कहती हो
शायद जानती हो
एक दिन
कोई आएगा
साथ लिए जाएगा
लौट वहाँ से
न कोई ला पाएगा।

अब कहाँ सावित्री
कहाँ वह देव जो वचन निभाएगा
सत्यवान आखिर में
बलिदान हो जाएगा
अपने जीवन के
प्रारब्ध को पहुँच जाएगा।

शाश्वत सच को कौन भला कैसे झुटलाएगा?

(यह फोटो कैमरे से आज प्रातः ही निकाला है। फ्लैश के उपयोग से पक्षी अचानक सकपका सा गया है। कष्ट के लिए क्षमा करना मेरी नायिका।)

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
Photo: सुप्रभात मित्रों।Good morning my dear friends.
08 24 2014

यह घटना कल रात्रि की है। धर्म पत्नी ने कुछ रोटी के टुकड़े खाने के लिए विन्डो ऐसी पर रखते हुए नोटिस किया कबूतर युगल में से अकेले कबूतरी ही है। कबूतर महाराज नदारद हैं।

मैने भी नजर गढ़ा देखा कि वाकई कबूतरी अकेली है।मन में प्रश्न कौधं गया कि कबूतर कहाँ चला गया?
एक विचार बना कि कहीं छोड़ साथ कबूतरी का  किसी दूसरी के पास तो नहीं चला गया। अगले ही क्षण इस सभांवना से इन्कार किया पर तसल्ली न मिली। क्योंकि हम लोग इन कबूतर युगल को करीब से जानते हैैं और काफी अरसे से यह हमारी कविता के नायक और नायिका के रूप में हमारे साथ रहे हैं।

अब विचार एक संभावना पर आकर ही केन्द्रित हो गया और अनायास ही इस रूप में फूट पड़ा।

कलम से____

बार बार ख्याल एक सताता है
होगा कल क्या 
कुछ समझ नहीं आता है।

सोच कर परेशान बहुत होता हूँ
नहीं रहूँगा एक दिन 
मैं जब 
क्या करोगी, क्या न करोगी तुम
पहेली सी बन जाती है
प्रश्न खडा बड़ा कर जाती है।

तुम हो 
शान्त 
निशब्द बनी रहती हो
कुछ नही
कुछ भी नहीं
कहती हो
शायद जानती हो
एक दिन
कोई आएगा
साथ लिए जाएगा
लौट वहाँ से
न कोई ला पाएगा।

अब कहाँ सावित्री 
कहाँ वह देव जो वचन निभाएगा
सत्यवान आखिर में
बलिदान हो जाएगा
अपने जीवन के
प्रारब्ध को पहुँच जाएगा।

शाश्वत सच को कौन भला कैसे झुटलाएगा?

(यह फोटो कैमरे से आज प्रातः ही निकाला है। फ्लैश के उपयोग से पक्षी अचानक सकपका सा गया है। कष्ट के लिए क्षमा करना मेरी नायिका।)

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • S.p. Singh सुप्रभात मेरे भ्राताश्री।
  • S.p. Singh पोस्ट भी दो बार हुई मेरी सुप्रभात अच्छी लगी इस कारण हटाऊँगा भी नहीं।
  • S.p. Singh पोस्ट भी दो बार हुई मेरी सुप्रभात अच्छी लगी इस कारण हटाऊँगा भी नहीं।
  • आशीष कैलाश तिवारी दो बार नही,,, दस बार हो तब भी आपकी बात 'चलता है (कैरिड अवे)' वाले एटिट्यूड' से परे रहता है सर। See Translation
  • Harihar Singh शुभ प्रभात राधे राधे जीSee Translation
  • Sp Dwivedi सुप्रभात सर, भावुकता की गहराई में उतर 
    कर लिखी गयी कविता.
  • S.p. Singh सुप्रभात दोस्तों।
  • Ishwar Dass GOOD MORNING
  • S.p. Singh Good mng ईश्वर दास जी।
  • Rajan Varma सुप्रभात् सर- आइना सामने हो तो भला कनपटियों के सफ़ेद बाल कैसे न दिखाई दें? गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है- लेकिन जिस गाड़ी का सर आप ज़िक्र कर रहे हैं वो तो स़िर्फ़ वन-वे जाती है अौर लौट कर न आती है- क्योंकि हम लोग का टिकट भी तो वन-वे का ही है! 
    पीछे की चिन्ता स्वाभाविक है- पार्टनर क्या करेगा, कैसे करेगा- ये जानते हुये भी कि संसार रूकता नहीं किसी के लिये- बद्दस्तूर चलता ही रहता है सदा की तरह; किसी मित्र ने हास्य-वश् कमैंट किया था कभी, कि मेरे जाने के बाद कबूतरी का वक्त (less me) बहुत सुकूँ से निकलेगा- मेरे होते जो पैसे की तंगी है वो न रहेगी- क्योंकि मेरे बाद बीमा वाले उस पर मेहरबाँ जो हो जायेंगे अौर लाखों की धनराशि घर बैठे दे जायेंगे!
    राधे राधे
  • S.p. Singh अब क्या कहें। हम तो कविता में अपनी बात कहते हैं आप उसे निरी खालिस जिन्दगी में ढाल कर पेश करते हैं। पेशेवर तरीके से तो हम लोग एक ही काम कर रहे हैं।
    धन्यवाद।
  • S.p. Singh Lalji Bagri : एक बार तुमने कमेन्ट किया था इस कबूतर कबूतरी युगल के ऊपर। देखो बेचारी मेरी कबूतरी बेहाल है।
  • Puneet Chowdhary Well said Rajan. Very practical. Views
  • Puneet Chowdhary Sp sir aab to waqt ye hai moj loo rooz lo nahi mile to khoj lo.forget yr worries live in today and discover happiness if not existing
  • Puneet Chowdhary Aab gandhiji ki yaad bhi note dekhne ke baat hi hati hai aap aur mein kya cheese hai.vartman mein jiyoo vartman mein piyoo
  • S.p. Singh Yes when two practical minds meet such wonders do happen.
  • Anjani Srivastava मुझे ढूंढने की कोशिश अब न किया कर, तूने रास्ता बदला तो मैंने मंज़िल बदल ली ..!See Translation
  • Amrendra Mishra wo bhi aa jayenge...kyon chinta karte hain aap ?See Translation
  • Yogendra Bhatnagar S. P Bhai Sb Very nice You really deserve credit very nice rachana Kumud Bhabhi

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