Friday, August 8, 2014

चंद रोज पहले ही जिक्र उनका महफिल में हुआ था

कलम से ___

चंद रोज पहले ही जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली हैं यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।

कली से फूल खुदारा वो इक दिन बनेगें
कत्ल निगाहों से न जाने कितने करेगें।

चढती जवानी के आलम की क्या बात है
शहर में हर जुबां पर उनका ही नाम है।

दिन हरेक के पलटते हैं मेरा भी एक होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।

खुदा मेहरबान रहे वो हमारे इक दिन बन के रहेगें
खुली बाहों में आके के समा जाने की हम राह तकेगें।

//surendrapal singh//
08 07 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से ___

चंद रोज पहले ही जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली हैं यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।

कली से फूल खुदारा वो इक दिन बनेगें
कत्ल निगाहों से न जाने कितने करेगें।

चढती जवानी के आलम की क्या बात है
शहर में हर जुबां पर उनका ही नाम है।

दिन हरेक के पलटते हैं मेरा भी एक होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।

खुदा मेहरबान रहे वो हमारे इक दिन बन के रहेगें
खुली बाहों में आके के समा जाने की हम राह  तकेगें।

//surendrapal singh//
08 07 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/
  • S.p. Singh Thanks.
  • Neelesh B Sokey Thank you for accepting my friend request sir. आपकी लेखनी का मैं क़ायल हूं।
    14 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh Thanks for such nice opinion.
  • Shravan Kumar Sachan Man mayuri huwa.
    14 hours ago · Unlike · 2
  • Suresh Chadha Dil khus hua ..sir jiSee Translation
    14 hours ago · Unlike · 2
  • Ram Saran Singh Respected sir. You have written in full romantic mood. मतलब यह कि दिल में, जिगर में सीने में बिजली कहाँ कहाँ न गिराई तमाम रात । धन्यवाद महोदय ।
    14 hours ago · Like · 1
  • Harihar Singh बहुत सुन्दरSee Translation
  • Kunwar Bahadur Singh beutiful clip as per imagination of a poet. nice
  • S.p. Singh सिंह साहब सावन पूरा बीतने पर आया एक दिन भी बरसात लग कर नहीं हुई। मूड बनाने का समय निकला ही चला जा रहा है। बिजली गिरी ही नहीं। हमने भी सोचा हकीकत में बादल घिरें या न घिरें बरसात हो या न हो कल्पना में तो यह सब हो ही सकता है। बस बन गई सो आपके समक्ष प्रस्तुत है।
    आपने सराहा एवं आशीर्वाद दिया इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।
    8 hours ago · Like · 1
  • Gian Chand Pawar वहा सर जी क्या बात क्या बात हैं बहुत सुन्दर 

    निगाहों पे आँसू न लब पे हैं आहे 
    कहा पर रुकेगी ये कातिल निगाहें 
    जफ़ा उनकी तंग आके पछता रही हैं 
    वफ़ा मेरी रह रह के शरमा रही हैं,
    4 hours ago · Edited · Unlike · 1
  • Rajan Varma हम पलटते दिनों का इंतज़ार तहेदिल से करेंगे- खुदा मिहरबान होगा तो वो इक दिन हमारे हो कर रहेंगे- इस शिद्दत से प्यार करेंगे तो कैसे वो आपको निराश करेंगे?
    बहुत आशिकाना रचना प्रसतुत की है आपने सिंह साहब
    2 hours ago · Unlike · 2
  • BN Pandey WO MERE BANE HAI N MERE BANEGE BAHUT DEKH LI HAMANE FARIYAAD KARKE.MERE BAAD MARANE KE SUB DEKH LENAA WO ROYAA KARENGE HUME YAAD KARKE
    2 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh बहुत खूब। पाडेंजी।
    2 hours ago · Like · 1
  • BN Pandey DHANYBAAD SIR
    2 hours ago · Unlike · 2
  • S.p. Singh राजन जी
    जीवन के सब रंग अच्छे लगते हैं तो इसे अछूता क्यों किया जाय। यह भी एक विधा है बस और कुछ नहीं।
  • Chandra Prakash Srivastava बहुत खूब Sir
    2 hours ago · Unlike · 2
  • Manish Sukhwal बहुत खूब सर जीSee Translation
  • Lalji Bagri bahut sunder sir

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