कलम से____
बेनकाब होगा हुस्न तभी तो दिखेगा
पर्दे के पीछे क्या है पता कैसे लगेगा।
नजरें चार होंगीं मुलाकात हसीन होगी
उसी के बाद मोहब्बत की शुरूआत होगी।
गश खाके गिर न जाऊँ जरा सभाँलना
बेपनाह मोहब्बत कँरूगा तुम देख लेना।
सेहरा बांध तेरे दर पर एक रोज आऊंगा
तुझे सदा के लिए मैं अपना बना ले जाऊँगा।
//surendrapal singh//
08 05 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
बेनकाब होगा हुस्न तभी तो दिखेगा
पर्दे के पीछे क्या है पता कैसे लगेगा।
नजरें चार होंगीं मुलाकात हसीन होगी
उसी के बाद मोहब्बत की शुरूआत होगी।
गश खाके गिर न जाऊँ जरा सभाँलना
बेपनाह मोहब्बत कँरूगा तुम देख लेना।
सेहरा बांध तेरे दर पर एक रोज आऊंगा
तुझे सदा के लिए मैं अपना बना ले जाऊँगा।
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