Monday, August 4, 2014

सुप्रभात मित्रों। 08 05 2014

Good morning friends.
सुप्रभात मित्रों।

08 05 2014

कल रात एक पूरानी किताब हाथ आगई और अंग्रेजी की यह सुदंर काव्य रचना मन भा गई।

"THE DAY is cold, and dark, and dreary;
It rains, and the wind is never weary;
The vine still clings to the mouldering wall,
But at every gust the dead leaves fall,
And the day is dark and dreary.

My life is cold, and dark, and dreary;
It rains, and the wind is never weary;
My thoughts still cling to the mouldering Past,But the hopes of youth fall thick in the blast,
And the days are dark and dreary.

Be still, sad heart! and cease repining;
Behind the clouds is the sun still shining;
Thy fate is the common fate of all,Into each life some rain must fall,
Some days must be dark and dreary."

फिर याद हो आए वो स्कूल कालेज के दिन जब communications के साधन आज जैसे नहीं थे और सूचना के अभाव में बारिशों में भी छाता-बरसाती पहन स्कूल पहुंच जाते थे।

बच्चों का हाल में देखने के बाद उपस्थित को संज्ञान में ले प्रार्थना के बाद प्रधानाचार्य महोदय Rainy Day की घोषणा करते थे।

घर लौटते हुए हम लोग रास्ते में जामुन और अमरूद खाते पीते गपशप करते हुए बरसात का आनंद उठा वापस पहुँचते थे।

कभी कभी स्कूल में निबंध लिखने को कहा जाता था तो pet title होता था Rainy Day. फिर वही रटे हुए इगंलिश के वाक्यों से निबंध पूरा होता था।

अब न तो पहले जैसी बरसात ही होती है और न वह Rainy Day का अहसास।

ए मित्र, बादलों
अब तो सावन
बीता जाए रे
भादों के आने के दिन आए रे
अब तो घनघोर बरस कर
बारिश के होने का
अहसास करा जाओ रे।

हर रोज आते हो
घिरते हो बदली के टुकडे से
हवाओं के झोंके साथ
चले जाते हो।

छप्पर में रहता हूँ
खटिया पर सोता हूँ
बारिश होते ही
खटिया छप्पर नीचे
खिसका लेता हूँ
झीनी झीनी बूंदो में
पावं भीगते से हैं
अब सब सपने से लगते हैं।

एक बार नहीं
बार बार आओ
इतने सुंदर अहसास
सो गए हैं जो
फिर से जगा जाओ।

हे मित्र अबतो बरस जाओ।
 — with Puneet Chowdhary.

Photo: Good morning friends.
सुप्रभात मित्रों।

08 05 2014

कल रात एक पूरानी किताब हाथ आगई और अंग्रेजी की यह सुदंर काव्य रचना मन भा गई।

"THE DAY is cold, and dark, and dreary;
It rains, and the wind is never weary;
The vine still clings to the mouldering wall,
But at every gust the dead leaves fall,    
           And the day is dark and dreary.      
  
My life is cold, and dark, and dreary;
It rains, and the wind is never weary;
My thoughts still cling to the mouldering Past,But the hopes of youth fall thick in the blast,    
        And the days are dark and dreary.       
  
Be still, sad heart! and cease repining;
Behind the clouds is the sun still shining;
Thy fate is the common fate of all,Into each life some rain must fall,   
  Some days must be dark and dreary."

फिर याद हो आए वो स्कूल कालेज के दिन जब communications के साधन आज जैसे नहीं थे और सूचना के अभाव में बारिशों में भी छाता-बरसाती पहन स्कूल पहुंच जाते थे।

बच्चों का हाल में देखने के बाद उपस्थित को संज्ञान में ले प्रार्थना के बाद प्रधानाचार्य महोदय Rainy Day की घोषणा करते थे।

घर लौटते हुए हम लोग रास्ते में जामुन और अमरूद खाते पीते गपशप करते हुए बरसात का आनंद उठा वापस पहुँचते थे।

कभी कभी स्कूल में निबंध लिखने को कहा जाता था तो pet title होता था Rainy Day. फिर वही रटे हुए इगंलिश  के वाक्यों से निबंध पूरा होता था।

अब न तो पहले जैसी बरसात ही होती है और न वह Rainy Day का अहसास।

ए मित्र, बादलों
अब तो सावन 
बीता जाए रे
भादों के आने के दिन आए रे
अब तो घनघोर बरस कर
बारिश के होने का
अहसास करा जाओ रे।

हर रोज आते हो
घिरते हो बदली के टुकडे से
हवाओं के झोंके साथ
चले जाते हो।

छप्पर में रहता हूँ
खटिया पर सोता हूँ
बारिश होते ही
खटिया छप्पर नीचे
खिसका लेता हूँ
झीनी झीनी बूंदो में
पावं भीगते से हैं
अब सब सपने से लगते हैं।

एक बार नहीं
बार बार आओ
इतने सुंदर अहसास
सो गए हैं जो
फिर से जगा जाओ।

हे मित्र अबतो बरस जाओ।
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