कलम से____
ड़ाली से टूट कर गोद में उनके जा गिरा
सभंला अभी था नहीं मुहं से निकला हाय मैं मरा।
पक जो गया था गिरना था लाजमी
गोद उनकी जो मिली मैं चोट से बच गया।
मुझे देखने आते हैं अब बाजार के कुछ लोग
खरीद कर ले जाने का इरादा करते हैं वो लोग।
मन नहीं करता है मैं जाऊँ कहीं अब और
रह जाऊँगा यहीं बनके मैं उनका सिरमौर।
पकने के बाद मैं मलिकन से ये कहूँगा
बीज वो दो पेड़ बनके फिर बाग में रहूँगा।
//surendrapalsingh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
ड़ाली से टूट कर गोद में उनके जा गिरा
सभंला अभी था नहीं मुहं से निकला हाय मैं मरा।
पक जो गया था गिरना था लाजमी
गोद उनकी जो मिली मैं चोट से बच गया।
मुझे देखने आते हैं अब बाजार के कुछ लोग
खरीद कर ले जाने का इरादा करते हैं वो लोग।
मन नहीं करता है मैं जाऊँ कहीं अब और
रह जाऊँगा यहीं बनके मैं उनका सिरमौर।
पकने के बाद मैं मलिकन से ये कहूँगा
बीज वो दो पेड़ बनके फिर बाग में रहूँगा।
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