Tuesday, August 19, 2014

बहती है इन आँखों से अविरल अश्रु धारा

कलम से____

बहती है इन आँखों से अविरल अश्रु धारा
कौन आसानी से है जाता छोड अपनी जननी धरा
शेष बचा नहीं अब कुछ जिस पर आस बुंने तानाबाना
पंक्षी छोड जा रहे जब देश हुआ बेगाना
काम कुछ बचा नहीं नया कुछ हुआ नहीं आस है डूबी
डूब गया संसार हमारा भृकुटी उसकी जब तनी
शीर्ष हमारा ही हमसे रूठा अब न बसेगा जो घर है टूटा
चल प्यारे नया संसार रचें
भूलें उन यादों वादों को जो न हुए अपने
आखों की दो बूंद पाषाण हो गई
अपनी दुनियां यहाँ से अब उठ गई।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
Photo: कलम से____

बहती है इन आँखों से अविरल अश्रु धारा
कौन आसानी से है जाता छोड अपनी जननी धरा
शेष बचा नहीं अब कुछ जिस पर आस बुंने तानाबाना
पंक्षी छोड जा रहे जब देश हुआ बेगाना
काम कुछ बचा नहीं नया कुछ हुआ नहीं आस है डूबी
डूब गया संसार हमारा भृकुटी उसकी जब तनी
शीर्ष हमारा ही हमसे रूठा अब न बसेगा जो घर है टूटा
चल प्यारे नया संसार रचें 
भूलें उन यादों वादों को जो न हुए अपने
आखों की दो बूंद पाषाण हो गई
अपनी दुनियां यहाँ से अब उठ गई।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in
  • Ram Saran Singh महोदय । आँखों के सामने अपना संसार उजड़ते देखना कितना विषादमय होता है इसकी कल्पना कविता में बहुत सटीक बन पड़ी है । धन्यवाद ।
  • S.p. Singh आज फिर दुर्भाग्य से कई हजार परिवारों को यह त्रासदी झेलनी पड रही है।
  • Brahmdeo Prasad Gupta one has to adjust with nature,challenging but beautiful.
  • Mahender Singh Jangra beautiful nature thanks
  • S.p. Singh बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा बाढ़ की मार झेल रहे हैं। हजारों परिवार घर से बेघर हो गए हैं। सैकडों भगवान को प्यारे हो गए। प्रदेश सरकारें लगीं हुईं हैं जिस तरह से काम होता है कर रहीं हैं। जनता परेशान है। 
    हर साल यह होता रहता है। कुछ दीर्घकालीन योजना बन नहीं पाती हैं।
    15 hours ago · Like · 1

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