कलम से _ _ _ _
खुशहाली से बदहाली
खुशहाली से बदहाली की ओर
किस्मत है ले जा रही
बदनामी पीछा है कर रही
बरबादी चेहरे पर छा रही।
सबकुछ बिक है रहा
जो कुछ है बचा
सब पीछे छूट रहा
रिश्ते टूटे नाते टूटे
टूटे अब आखिर हम हैं।
हरी भरी जमीन हमारी थी
खाती पीती जिन्दगी थी
टप्पे भागंडे खूब पडते थे
मिलकर सब हम हंसते थे।
बैसाखी हो या हो दिवाली
लगती बहुत थी मतवाली
मिलकर सब हंसते गाते
खुशी खुशी त्योहार मनाते।
अब चैन कहाँ वो रैन कंहा
घर भी गया बिक यहां
अब जाएं तो जाऐं कंहा
नहीं बचा कुछ शेष यहां।
एक बीमारी है आई क्या
सुख चैन गया घरबार गया
ड्रग्ज ने सबको बरबाद किया
रोशन कैसे होगा बुझ गया दिया।
रोशन अब न होगा बुझ गया जो दिया
पंजाब को आज इसने कंगाल कर दिया।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
खुशहाली से बदहाली
खुशहाली से बदहाली की ओर
किस्मत है ले जा रही
बदनामी पीछा है कर रही
बरबादी चेहरे पर छा रही।
सबकुछ बिक है रहा
जो कुछ है बचा
सब पीछे छूट रहा
रिश्ते टूटे नाते टूटे
टूटे अब आखिर हम हैं।
हरी भरी जमीन हमारी थी
खाती पीती जिन्दगी थी
टप्पे भागंडे खूब पडते थे
मिलकर सब हम हंसते थे।
बैसाखी हो या हो दिवाली
लगती बहुत थी मतवाली
मिलकर सब हंसते गाते
खुशी खुशी त्योहार मनाते।
अब चैन कहाँ वो रैन कंहा
घर भी गया बिक यहां
अब जाएं तो जाऐं कंहा
नहीं बचा कुछ शेष यहां।
एक बीमारी है आई क्या
सुख चैन गया घरबार गया
ड्रग्ज ने सबको बरबाद किया
रोशन कैसे होगा बुझ गया दिया।
रोशन अब न होगा बुझ गया जो दिया
पंजाब को आज इसने कंगाल कर दिया।
//surendrapal singh//
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