कलमसे____
सुबह
का पहला
चाय का कप
और
तेज दौडती
रफतार जिदंगी
ठहराव
है ही नहीं,
कहीं
रुकना
चाहो तो भी
मुमकिन नहीं।
खिड़की
पर
लगे एसी
पर
ऐक युगल
कबूतर-कबूतरी
प्रेमालाप
मे
मग्न है
कोई देखे तो देखे
उनकी बला से।
अखबार
कह रहा है
जग-जहाँ की कहानी
वही
जीवन का
रोना-रुलाना
राग पुराना ।
चलो-चलो
जल्दी करो
आफिस जो है, जाना ।
हर रोज
की
आपाधापी
लगे रहना पड़ता है
पेट है जो, पापी।
शाम प्रहर
जाना है वापस
मुझे
झेलना है ट्रैफिक
ट्रकों और कारों
की
मारा-मारी।
एक
कप चाय
अब शाम की
है तैयारी।
बच्चों
की पढ़ाई-लिखाई
को भी
देखना है।
.............
करना है
फिर बिस्तर की
तैयारी
......
सो जाना है
फिर जगना है।
करनी है
अगले दिन की
तैयारी।
सूरज
ने दे दी है
दस्तक एक
नयी सुबह की
चलो
गर्म करो
दो कप गरम पानी
शुरू करो
चाय बना
पीने की तैयारी..........
//surendrapalsingh//
08 02 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
सुबह
का पहला
चाय का कप
और
तेज दौडती
रफतार जिदंगी
ठहराव
है ही नहीं,
कहीं
रुकना
चाहो तो भी
मुमकिन नहीं।
खिड़की
पर
लगे एसी
पर
ऐक युगल
कबूतर-कबूतरी
प्रेमालाप
मे
मग्न है
कोई देखे तो देखे
उनकी बला से।
अखबार
कह रहा है
जग-जहाँ की कहानी
वही
जीवन का
रोना-रुलाना
राग पुराना ।
चलो-चलो
जल्दी करो
आफिस जो है, जाना ।
हर रोज
की
आपाधापी
लगे रहना पड़ता है
पेट है जो, पापी।
शाम प्रहर
जाना है वापस
मुझे
झेलना है ट्रैफिक
ट्रकों और कारों
की
मारा-मारी।
एक
कप चाय
अब शाम की
है तैयारी।
बच्चों
की पढ़ाई-लिखाई
को भी
देखना है।
.............
करना है
फिर बिस्तर की
तैयारी
......
सो जाना है
फिर जगना है।
करनी है
अगले दिन की
तैयारी।
सूरज
ने दे दी है
दस्तक एक
नयी सुबह की
चलो
गर्म करो
दो कप गरम पानी
शुरू करो
चाय बना
पीने की तैयारी..........
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