Wednesday, August 13, 2014

ठाकुर जी तुम मेरे मन बैठौ राधे, श्याम कौं बुलाय रयी है।

कलम से____

हवेली की चौथी मंजिल पै
अटरिया बनबाय दयी है
मालती की बेल लगी है
फूलन सौं लदाय रयी है
अब आय जाऔ औ' पधारो
ठाकुर जी तुम मेरे मन बैठौ
राधे, श्याम कौं बुलाय रयी है।

सामनैं बैठ मैं तोय निहारोंगी
राधेश्याम नाम लैकै पुकारोंगी।

चौबारे पै रास खेलवै आय जइय्यो
सखियन संग नाच नचाय जइय्यो।

राधे राधे।जै राधे राधे।राधे राधे।

//surendrapal singh//

http://1945spsingh.blogspot.in/
Photo: कलम से____

हवेली की चौथी मंजिल पै
अटरिया बनबाय दयी है
मालती की बेल लगी है
फूलन सौं लदाय रयी है
अब आय जाऔ औ' पधारो
ठाकुर जी तुम मेरे मन बैठौ 
राधे, श्याम कौं बुलाय रयी है।

सामनैं बैठ मैं तोय निहारोंगी
राधेश्याम नाम लैकै पुकारोंगी।

चौबारे पै रास खेलवै आय जइय्यो
सखियन संग नाच नचाय जइय्यो।

राधे राधे।जै राधे राधे।राधे राधे।

//surendrapal singh//

http://1945spsingh.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment