कलम से____
क्यों ले आए हो मुझे मुर्दों के शहर में
इनसां नजर मुझे अभी तक आए नहीं हैं।
कैसे तबीयत लगेगी किसी की यहाँ
दर्द बांटने को कोई आता नहीं यहाँ।
रौशनी भी बनी है परेशानी की सबब यहाँ
अधेंरे बहुत हैं अधिक रोशनी तलाशते यहाँ।
किरण आशा की बस एक नजर आती है
पास आकर पूछता है कोई आप कैसे हैं यहाँ।
//surendrapalsingh//
08 04 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
क्यों ले आए हो मुझे मुर्दों के शहर में
इनसां नजर मुझे अभी तक आए नहीं हैं।
कैसे तबीयत लगेगी किसी की यहाँ
दर्द बांटने को कोई आता नहीं यहाँ।
रौशनी भी बनी है परेशानी की सबब यहाँ
अधेंरे बहुत हैं अधिक रोशनी तलाशते यहाँ।
किरण आशा की बस एक नजर आती है
पास आकर पूछता है कोई आप कैसे हैं यहाँ।
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