कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Wednesday, August 20, 2014
सब अपनी अपनी करनी पर रो रहे हैं दूसरे किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं।
सब अपनी अपनी करनी पर रो रहे हैं
दूसरे किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं।
//surendrapalsingh//
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Kunwar Krishna Srivastava
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Prem Prakash Goswami
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Dhiraj Kumar
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Anjani Srivastava
'अपनी करनी पर रो रहे हैं सब ................दूसरे किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं' हमारी विरासत हमसे मत छीनो ! सहारा दो हमें.... सजा मत दो मित्रो ऐसा तो अपराध न किया हमने ...
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22 hours ago
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Neelesh B Sokey
दूसरों की सुनने की दूर, कथनी और करनी में भी अंतर है इसलिए रो रहें हैं।
18 hours ago
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Anjani Srivastava
"बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख" लोक सभा मेँ काँग्रेस को विपक्ष का पद नहीँ. ऎसी स्थिति के लिए कोई आश्चर्य नहीँ.बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय,यह कहावत काँग्रेस के लिए शत-प्रतिशत चिर्तार्थ हैI.पर एक स्वस्थ लोकतँत्र के लिए विपक्ष का होना अतिमहत्
...
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