कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Wednesday, August 20, 2014
जाओ जाओ हर दिन यूं रूठा न करो
कलम से_____
जाओ जाओ हर दिन यूं रूठा न करो,
हर रोज मनाने मे एक खवाब टूट जाता है ।
//surendrapalsingh//
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Madhvi Srivastava
,
Shravan Kumar Sachan
,
Praveen Gupta
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Manoj Kumar Singh
क्या बात है सर।।। fantastic
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August 19 at 7:41pm
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Rajan Varma
बहुत खूब जनाब- 'कहाँ तक समेटते रहेंगे टूटे ख़्वाबों को'
August 19 at 7:52pm
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Anjani Srivastava
"रोज ..रोज मनाने मे एक खवाब टूट जाती है " मग़र 'तकदीर' तो खुद 'हिम्मत' की मोहताज हुआ करती है...
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August 19 at 10:15pm
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Javed Usmani
वाह
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Yesterday at 6:34am
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Brahmdeo Prasad Gupta
nice,never break a dream it may heart some loved one.
Yesterday at 6:40am
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Chadha Vijay Kumar
कोई रूठा हुआ शक्स आज बहुत याद आया
एक गुजरा हुआ वक़्त आज बहुत याद आया
छुपा लेता था जो मेरे दर्द को अपने सीने मैं
आज फिर दर्द हुआ तो बहुत याद आया
Yesterday at 11:16am
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Rajan Varma
कुछ लेते क्यों नहीं चड्डा सर- कहीं ये दर्द जानलेवा न हो जाये!
Yesterday at 11:18am
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S.p. Singh
वाह वाह कहने से खुशी बहुत होती है। चढ्ढा साहब कम से कम अपने दिल की बात कह लेते हैं।
23 hours ago
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Ram Saran Singh
लगता है महोदय कुछ रूठे रूठे से हैं । अब ज़्यादा क्या कहूँ ।
18 hours ago
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S.p. Singh
जी नहीं सिंह साहब बिल्कुल प्रसन्न चित्त हैं।
18 hours ago
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Shravan Kumar Sachan
Aapne he to rootha Kartey hai....
17 hours ago
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