कलम से____
तनहाई पूछती है परछाईं से
तुम कहाँ हो यहाँ हो फिर वहाँ हो
मिलकर भी नहीं मिलती हो
कैसी यह आखँ मिचौली है
कुछ तो कहो यह क्या है
आखिर नज़र क्यों चुराती फिरती हो।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
तनहाई पूछती है परछाईं से
तुम कहाँ हो यहाँ हो फिर वहाँ हो
मिलकर भी नहीं मिलती हो
कैसी यह आखँ मिचौली है
कुछ तो कहो यह क्या है
आखिर नज़र क्यों चुराती फिरती हो।
//surendrapal singh//
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