कलम से____
देखते देखते ही दाएं हाथ की उगंली पर
मेरे एक तिल बन गया
भूला सा कुछ याद दिला गया
चर्चा ए आम हुआ करती थी
गाल पर उनके जो तिल है
वो किसी का दिल है।
यादें तमाम जुडी हैं
इस छोटी सी बात में
हमसे जुड गई थीं वो
गाल के तिल की चाहत में।
यह तिल मेरा बहुत
काम की चीज़ है
पहचान है मेरी
मेरा अरमान है।
तिल मेरा बाएं गाल पर ही है
आजकल दिलवाले
दिल के पास टैटू बनबाते हैं
देखने को जिसे
अच्छे अच्छे ललचाते हैं।
हुस्न देखा न जाएगा
तारीफ कैसे होगी
तारीफ ही न होगी
हुस्न वालों की नीदं न उड जाएगी
दूसरों की नींद ऊडाने वाले
बेवजह परेशान रहेंगे
ये तौहीन हुस्न बरदाश्त हम कैसे करेंगे।
तौहीन हुस्न की हो
बात कुछ जमती नहीं है
रात को सोचता हूँ
परेशान हो जाता हूँ
तिल मेरा मेरे ख्वाबों में आता है
मुझे उनकी भूली सी
हाँ, भूली सी, याद दिला जाता है।
उनकी याद दिला जाता है..........
//surendrapal singh//
08 04 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.
देखते देखते ही दाएं हाथ की उगंली पर
मेरे एक तिल बन गया
भूला सा कुछ याद दिला गया
चर्चा ए आम हुआ करती थी
गाल पर उनके जो तिल है
वो किसी का दिल है।
यादें तमाम जुडी हैं
इस छोटी सी बात में
हमसे जुड गई थीं वो
गाल के तिल की चाहत में।
यह तिल मेरा बहुत
काम की चीज़ है
पहचान है मेरी
मेरा अरमान है।
तिल मेरा बाएं गाल पर ही है
आजकल दिलवाले
दिल के पास टैटू बनबाते हैं
देखने को जिसे
अच्छे अच्छे ललचाते हैं।
हुस्न देखा न जाएगा
तारीफ कैसे होगी
तारीफ ही न होगी
हुस्न वालों की नीदं न उड जाएगी
दूसरों की नींद ऊडाने वाले
बेवजह परेशान रहेंगे
ये तौहीन हुस्न बरदाश्त हम कैसे करेंगे।
तौहीन हुस्न की हो
बात कुछ जमती नहीं है
रात को सोचता हूँ
परेशान हो जाता हूँ
तिल मेरा मेरे ख्वाबों में आता है
मुझे उनकी भूली सी
हाँ, भूली सी, याद दिला जाता है।
उनकी याद दिला जाता है..........
//surendrapal singh//
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