कलमसे____
लगा दे आग दुबारा
ऐसी कोई चिन्गारी नहीं है
अतीत के पन्नों में
कोई ऐसी बात छिपी ही नहीं है।
नये सिरे से शुरू करो
तो कोई बात बने
बुझी आग में
शोलों की तलाश बेमानी लगे है।
आओ मिल कर जलायें
चिराग एक हम
हो सके इस जहाँ के
मिटा सकें सभी गम।
अंधेरे दूर हो जांय
हो जाए ऊजाला
जग जंहा सुदंर लगे
बन जाय निराला।
किसी की आस
विश्वास पर टिकी है
टूट न जाए,
हमारी कोशिश यही है।
//surendrapal singh//
08 03 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
लगा दे आग दुबारा
ऐसी कोई चिन्गारी नहीं है
अतीत के पन्नों में
कोई ऐसी बात छिपी ही नहीं है।
नये सिरे से शुरू करो
तो कोई बात बने
बुझी आग में
शोलों की तलाश बेमानी लगे है।
आओ मिल कर जलायें
चिराग एक हम
हो सके इस जहाँ के
मिटा सकें सभी गम।
अंधेरे दूर हो जांय
हो जाए ऊजाला
जग जंहा सुदंर लगे
बन जाय निराला।
किसी की आस
विश्वास पर टिकी है
टूट न जाए,
हमारी कोशिश यही है।
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