कलम से____
अशोक का पेड लगाना शुभ काम है
रहते हैं दूर कष्ट करता शुद्ध विचार है।
आशोपालव की हो रही है चर्चा यहां
जो करीब था बहुत किसी के वहां।
सूख भले गया अपनी उम्र पूरी होने पर
रहा हरा भरा निगाहों में ताऊम्र भर।
क्यों लगाते हो आग इस अशोक में
लगानी ही है तो लगाओ शोक में ।
वाटिका भर में सबसे हसीन पेड था
सीते के दिल के बहुत करीब था ।
तमतमाता था ताम्र सा हो जाता था
ऋतुराज बसंत मधुर आता था जब यहां।
सुदंर छाँह है इसकी है कुछ और भी नस्ल हैं इसकी
मन मोह लेता है हवा के झोंके छन के आएं जब इससे।
//surendrapal singh//
08 04 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
अशोक का पेड लगाना शुभ काम है
रहते हैं दूर कष्ट करता शुद्ध विचार है।
आशोपालव की हो रही है चर्चा यहां
जो करीब था बहुत किसी के वहां।
सूख भले गया अपनी उम्र पूरी होने पर
रहा हरा भरा निगाहों में ताऊम्र भर।
क्यों लगाते हो आग इस अशोक में
लगानी ही है तो लगाओ शोक में ।
वाटिका भर में सबसे हसीन पेड था
सीते के दिल के बहुत करीब था ।
तमतमाता था ताम्र सा हो जाता था
ऋतुराज बसंत मधुर आता था जब यहां।
सुदंर छाँह है इसकी है कुछ और भी नस्ल हैं इसकी
मन मोह लेता है हवा के झोंके छन के आएं जब इससे।
//surendrapal singh//
08 04 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment