Good morning friends.
08 13 2014
शाश्वत सच है,
धरा पर,
आकाशगंगा में,
वायुमंडल में,
अग्निपथ में,
जल,
जीवन का आधार है।
जल विन जीवन गति विहीन है। जल में/से ही जीवन की कल्पना की गई है।
इस वर्ष तो जलाभाव खलने लगा है कहीं कहीं जलभराव भी है। हमारे देश की यही त्रासदी है।
कुल एक सुंदर कविता के माध्यम से यह वेदना साफ दिखाई पड रही थी कि मालवा में बरसात का अभाव किसानों को सता रहा है। नीदें उडा रहा है।
इन्द्रदेव से इतनी प्रार्थना की कि हमारे आसपास भी बरसो नहीं बरसे। कभी यहाँ कभी वहाँ छुट पुट बरस भी गए तो क्या हुआ। उस पर मुए टीवी वाले तुरंत चिल्लाने लगे दिल्ली में जल भराव और ट्रैफिक जाम। लगा इनके पास कोई और कहानी बची ही नहीं है।
खबरें आरही हैं बिहार और ओडिशा में भयंकर बाढ आई है। लगता हो यह भी एक सालाना फीचर हो गया है, जो होना ही है। नये पीएम हैं, देखिए क्या करते हैं। अभी तक तो कुछ खास इस दिशा में कुछ हुआ नहीं है। मुझे याद आ रहा है, प्रोफेसर के एल राव के जमाने में एक बल्यूप्रिन्ट तैयार हुआ था गंगा को कावेरी से जोडने का। सुना करते थे, अगर यह प्लान लागू हो गया तो समझ लेना भारत का उत्थान हो गया। भारत में प्रगति चरम पर है। पता नहीं किस कोने में पडा सड रहा होगा, वह प्लान। नदियों को जोडने की बात दुबारा कर आज के नेता ताली तो बजबा लेगें काम कुछ होगा या नहीं कोई गारंटी नहीं है।
कुछ दिन पहले मुझे एक वीडियो whatapps पर किसी ने भेजा था जिसमें tourist bus दिखाई गई थी, जो पानी पर और समुद्र में समान रूप से Rotterdam में चलती थी। मुझे लगा कि water ways tourism अब भारत में भी जोर पकडेगा। मैंने अपने एक दोस्त से कहा कि कमर कस लो और एजेंसी लेलो भइय्या करोडों कमाने का समय आ गया है।
देखो, अपने इस गरीब मुल्क में यह सपना कब पूरा होता है।पीम महोदय ने चुनाव प्रचार में इसकी चर्चा खूब जोरदार तरीके से की थी। सपने दिखाए थे।
शिक्षा और स्वास्थ्य प्रायवेट हाथों में सौंप सरकार अपना पल्ला झाड मस्त हो गई है पर TARI की तरह monitoring authority नहीं बनाने की सोच रही है।
किसानों की जमीन हडपने की योजना तो बन रही है पर पूरी व्यवस्था बिचौलियों से निजात पाए इस पर काम नहीं हो रहा है। होगा भी क्यों यही बिचौलिये सरकार में जो बैठें है और कमाई कर और करवा रहे हैं।किसान की चिन्ताओं के प्रति कौन कितना सजग है यह आने वाले दिन ही कुछ कह पाएगें।
........ और भी तमाम ज्वलंत प्रश्न हैं देखिए ऊपर वाला क्या करता है।इस मुल्क को ऊपरवाले पर ही तो भरोसा करना है।
आज दिल की बात कह दी है, भडास निकाल ली है, अब दिन ठीक कटेगा। देख रहा हूँ कि दिल की बात कहने का सबसे बढिया जरिया अब FB बन गया है।यहां गरीब अमीर, नेता अभिनेता, मर्द औरत का फर्क नजर नहीं आता है।
सुप्रभात मित्रों।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with आशीष कैलाश तिवारी and Ram Saran Singh.
08 13 2014
शाश्वत सच है,
धरा पर,
आकाशगंगा में,
वायुमंडल में,
अग्निपथ में,
जल,
जीवन का आधार है।
जल विन जीवन गति विहीन है। जल में/से ही जीवन की कल्पना की गई है।
इस वर्ष तो जलाभाव खलने लगा है कहीं कहीं जलभराव भी है। हमारे देश की यही त्रासदी है।
कुल एक सुंदर कविता के माध्यम से यह वेदना साफ दिखाई पड रही थी कि मालवा में बरसात का अभाव किसानों को सता रहा है। नीदें उडा रहा है।
इन्द्रदेव से इतनी प्रार्थना की कि हमारे आसपास भी बरसो नहीं बरसे। कभी यहाँ कभी वहाँ छुट पुट बरस भी गए तो क्या हुआ। उस पर मुए टीवी वाले तुरंत चिल्लाने लगे दिल्ली में जल भराव और ट्रैफिक जाम। लगा इनके पास कोई और कहानी बची ही नहीं है।
खबरें आरही हैं बिहार और ओडिशा में भयंकर बाढ आई है। लगता हो यह भी एक सालाना फीचर हो गया है, जो होना ही है। नये पीएम हैं, देखिए क्या करते हैं। अभी तक तो कुछ खास इस दिशा में कुछ हुआ नहीं है। मुझे याद आ रहा है, प्रोफेसर के एल राव के जमाने में एक बल्यूप्रिन्ट तैयार हुआ था गंगा को कावेरी से जोडने का। सुना करते थे, अगर यह प्लान लागू हो गया तो समझ लेना भारत का उत्थान हो गया। भारत में प्रगति चरम पर है। पता नहीं किस कोने में पडा सड रहा होगा, वह प्लान। नदियों को जोडने की बात दुबारा कर आज के नेता ताली तो बजबा लेगें काम कुछ होगा या नहीं कोई गारंटी नहीं है।
कुछ दिन पहले मुझे एक वीडियो whatapps पर किसी ने भेजा था जिसमें tourist bus दिखाई गई थी, जो पानी पर और समुद्र में समान रूप से Rotterdam में चलती थी। मुझे लगा कि water ways tourism अब भारत में भी जोर पकडेगा। मैंने अपने एक दोस्त से कहा कि कमर कस लो और एजेंसी लेलो भइय्या करोडों कमाने का समय आ गया है।
देखो, अपने इस गरीब मुल्क में यह सपना कब पूरा होता है।पीम महोदय ने चुनाव प्रचार में इसकी चर्चा खूब जोरदार तरीके से की थी। सपने दिखाए थे।
शिक्षा और स्वास्थ्य प्रायवेट हाथों में सौंप सरकार अपना पल्ला झाड मस्त हो गई है पर TARI की तरह monitoring authority नहीं बनाने की सोच रही है।
किसानों की जमीन हडपने की योजना तो बन रही है पर पूरी व्यवस्था बिचौलियों से निजात पाए इस पर काम नहीं हो रहा है। होगा भी क्यों यही बिचौलिये सरकार में जो बैठें है और कमाई कर और करवा रहे हैं।किसान की चिन्ताओं के प्रति कौन कितना सजग है यह आने वाले दिन ही कुछ कह पाएगें।
........ और भी तमाम ज्वलंत प्रश्न हैं देखिए ऊपर वाला क्या करता है।इस मुल्क को ऊपरवाले पर ही तो भरोसा करना है।
आज दिल की बात कह दी है, भडास निकाल ली है, अब दिन ठीक कटेगा। देख रहा हूँ कि दिल की बात कहने का सबसे बढिया जरिया अब FB बन गया है।यहां गरीब अमीर, नेता अभिनेता, मर्द औरत का फर्क नजर नहीं आता है।
सुप्रभात मित्रों।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with आशीष कैलाश तिवारी and Ram Saran Singh.
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