कलम से____
नदी
किनारे हूँ
दिल बाग बाग है
बहती नदी का
सातसुरी
संगीत
लग मधुर बहुत
रहा है।
नदी
की सतह के
ऊपर
सतरंगी
इन्द्रधनुष
है दिख जाता
जो
शहरों में
पीछे भवनों के
छिप गया है।
कभी
महसूस करना
हर दिल में
एक नदी
होती है
बहती रहती है।
बुलाती है
हम
बस सुनते
नहीं है
......या सुनना ही नहीं
चाहते हैं।
मैनें सुनी है
तुम भी
सुनो
घर से बस निकल पडो
छुट्टी का दिन है
कुछ
आज
अजीब सा करो।
//surendrapalsingh//
08 10 2010
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
नदी
किनारे हूँ
दिल बाग बाग है
बहती नदी का
सातसुरी
संगीत
लग मधुर बहुत
रहा है।
नदी
की सतह के
ऊपर
सतरंगी
इन्द्रधनुष
है दिख जाता
जो
शहरों में
पीछे भवनों के
छिप गया है।
कभी
महसूस करना
हर दिल में
एक नदी
होती है
बहती रहती है।
बुलाती है
हम
बस सुनते
नहीं है
......या सुनना ही नहीं
चाहते हैं।
मैनें सुनी है
तुम भी
सुनो
घर से बस निकल पडो
छुट्टी का दिन है
कुछ
आज
अजीब सा करो।
//surendrapalsingh//
08 10 2010
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
No comments:
Post a Comment