कलम से____
नयनों की भाषा को परिभाषित करने का किया प्रयास बहुत था
बन न कुछ सका एक झटका बस जोर का लगा था
करते रहते हो सदा ऊलजलूल की बात
नयनों की भाषा को कभी किसी ने शब्दों में गढ़ा है
नयनों की भाषा बस नयन ही समझें
है मज़ा इसी में कि वो हमें और हम उनको समझें।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
नयनों की भाषा को परिभाषित करने का किया प्रयास बहुत था
बन न कुछ सका एक झटका बस जोर का लगा था
करते रहते हो सदा ऊलजलूल की बात
नयनों की भाषा को कभी किसी ने शब्दों में गढ़ा है
नयनों की भाषा बस नयन ही समझें
है मज़ा इसी में कि वो हमें और हम उनको समझें।
//surendrapal singh//
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