कलम से____
ख़त लगभग खत्म हो गए
अरमान मेरे लुट गए
नाज़ करते थे कभी जिन पर
वह गुजरे जमाने की बात हो गये।
चंद इन्सानों के बीच
रह शायद जाएगा
वरना वजूद ख़त का
खत्म हो जाएगा।
प्यार करने वाले
आँसू बहाएंगे
कहना चाहेगें कुछ
कुछ और ही समझे जाएगें।
प्यार की जुबां
बदल जाएगी
सारी बात
एक छोटे से मोबाइल के
एसएमएस में समा जाएगी।
कविता, कविता से
रूठ जाएगी
भावना मिट जाएगी
कल्पना भी खो जाएगी
प्यार की परिभाषा बदल जाएगी
हम सब आज जो भी कहते हैं
कुछ ऐसा न रहेगा, कुछ वैसा न होगा
दिल जो धडकता है, वो न धडकेगा
इन्सान हौले हौले पत्थर हो रहा है
पत्थर का हो जाएगा
आँसू बहाने के काबिल न रह जाएगा।
//surendrapal singh//
08 06 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
ख़त लगभग खत्म हो गए
अरमान मेरे लुट गए
नाज़ करते थे कभी जिन पर
वह गुजरे जमाने की बात हो गये।
चंद इन्सानों के बीच
रह शायद जाएगा
वरना वजूद ख़त का
खत्म हो जाएगा।
प्यार करने वाले
आँसू बहाएंगे
कहना चाहेगें कुछ
कुछ और ही समझे जाएगें।
प्यार की जुबां
बदल जाएगी
सारी बात
एक छोटे से मोबाइल के
एसएमएस में समा जाएगी।
कविता, कविता से
रूठ जाएगी
भावना मिट जाएगी
कल्पना भी खो जाएगी
प्यार की परिभाषा बदल जाएगी
हम सब आज जो भी कहते हैं
कुछ ऐसा न रहेगा, कुछ वैसा न होगा
दिल जो धडकता है, वो न धडकेगा
इन्सान हौले हौले पत्थर हो रहा है
पत्थर का हो जाएगा
आँसू बहाने के काबिल न रह जाएगा।
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