कलम से____
जीवन की यह बातें और
यह गुजरी रातें याद आई हैं
जब जब तन्हाई पाई है
स्मृतियों की बदली छाई है
निकल सके न हम न निकल सके तुम
आग कैसी लगाई है
यह अपनी किस्मत है
रह रह कर मुझे तेरी याद आई है
बदरा घिर आए तुम न आए
तुम्हारी याद घिर आई है
बालम मेरे आओ और न तरसाओ
आखँ मेरी भर आई है।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
जीवन की यह बातें और
यह गुजरी रातें याद आई हैं
जब जब तन्हाई पाई है
स्मृतियों की बदली छाई है
निकल सके न हम न निकल सके तुम
आग कैसी लगाई है
यह अपनी किस्मत है
रह रह कर मुझे तेरी याद आई है
बदरा घिर आए तुम न आए
तुम्हारी याद घिर आई है
बालम मेरे आओ और न तरसाओ
आखँ मेरी भर आई है।
//surendrapal singh//
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