कलम से____
सुन पिया
सो रहे क्या?
तुझे अभी से सोने की पड़ी है
अभी तो पूरी रात पड़ी है
उठ बैठो,
कुछ कहो
कुछ मेरी सुनो
देख कितनी सुन्दर
चांदनी बिखरी पड़ी है।
अभी से तू सो जाएगा
क्या करूँगी मैं,
समझ मेरे कुछ न आएगा
रात भर परेशान रहूंगी
उठ जा बैठ
मेरे बैरी पिया।
मौगंरे की खुशबू दीवाना कर रही है
परिजात के फूलों की सेज सज रही है
चंदा की चादंनी मन ललचा रही है
कैसा है रे पिया
अभी शाम से ही
नीदं तुझे सता रही है।
आ, मेरे गेसुओं से खेल तो जरा
लाये थे चमेली का जो हार
जूड़े में लगा के
देख तो जरा
देख ले एक बार
मन तेरा डोल जाएगा
यह रूप मेरा देख ले जरा
नैन अपने आज पिया
खोल तो जरा।
सोने न दूँगी
परेशान कँरूगी
मै रहती हूँ परेशान
तुझे परेशान कँरूगी।
उठ सजन बोले
कानों में रस सा घोले
चल सजनी
मान ली तेरी बात
न तू सोएगी
न सोऊंगा मैं, आज सारी रात।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/ — with Puneet Chowdhary.
सुन पिया
सो रहे क्या?
तुझे अभी से सोने की पड़ी है
अभी तो पूरी रात पड़ी है
उठ बैठो,
कुछ कहो
कुछ मेरी सुनो
देख कितनी सुन्दर
चांदनी बिखरी पड़ी है।
अभी से तू सो जाएगा
क्या करूँगी मैं,
समझ मेरे कुछ न आएगा
रात भर परेशान रहूंगी
उठ जा बैठ
मेरे बैरी पिया।
मौगंरे की खुशबू दीवाना कर रही है
परिजात के फूलों की सेज सज रही है
चंदा की चादंनी मन ललचा रही है
कैसा है रे पिया
अभी शाम से ही
नीदं तुझे सता रही है।
आ, मेरे गेसुओं से खेल तो जरा
लाये थे चमेली का जो हार
जूड़े में लगा के
देख तो जरा
देख ले एक बार
मन तेरा डोल जाएगा
यह रूप मेरा देख ले जरा
नैन अपने आज पिया
खोल तो जरा।
सोने न दूँगी
परेशान कँरूगी
मै रहती हूँ परेशान
तुझे परेशान कँरूगी।
उठ सजन बोले
कानों में रस सा घोले
चल सजनी
मान ली तेरी बात
न तू सोएगी
न सोऊंगा मैं, आज सारी रात।
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