Sunday, January 18, 2015

भगवान न कुछ लेता है न वह कुछ देता है

कलम से____
भगवान न कुछ लेता है
न वह कुछ देता है
जो आप चढ़ाते हो
भेंट समझ
वह
पुजारी का भोजन
होता है।
फूल
जो हो आप
चढ़ाते
झाडू से हैं
झाड़े जाते
फिर कूड़े के ढेर में
जाकर बजूद
अपना खो देते।
पत्थर के देवता
ऐसे ही नहीं पसीजते
न वह कुछ कहते
न ही वह कुछ बोलते।
हँस बोल लिया करो उससे
जो बोले
जो हँसे
इन्सानों की दुनियाँ
है भरी पड़ी इन्सानों से
ढूँढ लो उसे जो तुम्हारी सुने
सुनकर हँसे या रो पड़े.........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay Kr Misra Bahut sunder prastuti, Sir.
  • Ramsevak Gupta Fir vi jindagi gujarti hai Bhagwan varose.
  • Ram Saran Singh आदरणीय । मेरे मन की बात कह दी आपने । अंधविश्वास के मकड़जाल से मुक्ति दिलाने का प्रयास करती रचना बहुत ही सुंदर है । धन्यवाद ल
  • SN Gupta "यहाँ पत्थर के सनम पुजते हैं , इंसानियत हैरान होती है "
  • Puneet Chowdhary Maan ko jhanjhoor Dene Wali rachna behtreen
  • Rajan Varma पुजारी के भोजन तक तो ठीक है, पर कुछ प्रसिद्ध मँदिरों अौर धर्म-स्थलों पर तो किलो के हिसाब से सोने अौर करंसी नोट तोले जाते हैं- गिनने का समय नहीं है पुजारी अौर ठेकेदारों के पास। इधर लोग काली कमाई करते हैं अौर उधर किलो के हिसाब से चढ़ा कर पुनः उस बुत के समक्ष कृपा की दरख़ास्त डाल देते हैं- 
    इंसानों की दुनिया में इंसान ढूँढने जाने की किल्लत न भी करे कोई- कम-से-कम अपने ही बज़ुर्ग माँ-बाप की देख-रेख-सेवा करले अगर हर इंसान तो मैं समझता हूँ वही बहुत उपकार होगा मानवता पर!!! ईश्वर की पूजा स्वतः ही हो जायेगी-
  • Dinesh Singh इन्सानों की दुनियाँ
    है भरी पड़ी इन्सानों से
    ढूँढ लो उसे जो तुम्हारी सुने
    सुनकर हँसे या रो पड़े. ----बेहतरीन रचना आदरणीय
  • Kirti Goel Very true
  • Balbir Singh Rajan ji aap ke vichar bilkul saf suthre hain
  • S.p. Singh धन्यवाद । सभी मित्रों का आभार।

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