Monday, January 12, 2015

जाते क्यों हो अब, कुछ देर और ठहर जाते !!!

कलम से_____
बेहतरीन यादों की तरह तुम आए ही क्यों
जाते क्यों हो अब, कुछ देर और ठहर जाते !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ram Saran Singh यादें विगत में ले जाकर आनंदमग्न कर तो देती हैं लेकिन समय का अंतराल जितना बढ़ता है यादें धूमिल पड़ती जाती हैं और अंत में सब कुछ रेतीला रेगिस्तान सा दीखने लगता है । बहुत बेहतरीन मनोभाव को आपने उठाया । धन्यवाद ।
  • S.p. Singh धन्यवाद।
  • Ajay Kr Misra उत्कृष्ट अभिव्यक्ति, सर।
  • Dinesh Singh वाह बहुत ही खूबसूरत
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