Monday, January 12, 2015

सुबह आज ऐसी शायद न होगी

कलम से____
सुबह आज ऐसी
शायद न होगी
कोहरा छटेगा न
तब ऐसी होगी
उम्मीद है
सूरज
आज निकलेगा
गलन हवाओं के
रुख में अभी और
बढ़ेगी
रजाई का प्रेम
बना रहेगा
अलाव से गरमाहट
मिलती जो रहेगी
चलो चलेंगे
बैठेंगे बाहर धूप में
अगर वो बाहर निकलेगी
अगर वो बाहर निकलेंगी
तो मुलाकात अवश्य ही होगी
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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