Tuesday, January 6, 2015

मंजिल मिले न मिले इसका गम नहीं.....

कलम से____
मंजिल मिले न मिले इसका गम नहीं.....
मंजिल की ओर मेरा कारवां तो है.......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with Puneet Chowdhary.
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