Thursday, January 15, 2015

आज सेना दिवस है।

कलम से____
आज सेना दिवस है। यह रचना सैन्यबलों के साहस और शौर्य को समर्पित है।
कहाँ खो गई वो आवाज जो दम भरती थी
सीना चौड़ा छप्पन इंच का है जो कहती थी ।
कर रहा दिन प्रतिदिन पाकिस्तान गोलाबारी
ठोक दो दुश्मन को कर पूरी एक बार तैय्यारी ।
खिच खिच रोज रोज की हो बंद एक बार हो जाए
फिर शांति अगर वो चाहे उस पर वार्तालाप हो जाए।
पाल रहा सर्प आस्तीन के वह समझ अभी न पाए
बच्चों ने दी कुरबानी फिर भी उसकी समझ न आए।
मरना मारना है खून में इनके आधार ही गलत है
किस किस को भारत समझाए समझ बात न जब आए।
रहा है पिट्ठू अमरीका का सुनता उनकी नहीं है
सामने इनके कुछ भी कहना कारगर नहीं है।
जो जैसी भाषा समझे उस भाषा में अब बात करो
न समझे बने अनाड़ी तो सिर धड़ से कलम करो।
न रहे बांस न बजे बांसरी, कहावत चरितार्थ करो
बहुत किया बरदाश्त लीला इनकी अब समाप्त करो।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay JainAtul SoodSuresh Sinha and 18 others like this.
  • Jitendra Kakkar अति सुन्दर
    20 hrs · Unlike · 1
  • Surinder Gera Excellent
    20 hrs · Unlike · 1
  • SN Gupta '------------सीना चौड़ा छप्पन इंच का----------'कड़वा सच
    18 hrs · Unlike · 2
  • Rajan Varma सच कहा आपने भाई साॅ-
    न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी,
    न सध पाया साँप, बजा ली बहुत बाँसुरी;
    18 hrs · Unlike · 1
  • Sp Tripathi काश यह रचना फेंकू तक पहुचती और भगवान उन्हे थोड़ी सदबुद्धी दे देता ।
    18 hrs · Unlike · 1
  • Ram Saran Singh महोदय कविता में रोष है, जोश है और समय की यही माँग भी है । देश की सहनशक्ति क्षीण हो रही है । बहुत सुंदर ललकार भरी रचना । धन्यवाद ।
    18 hrs · Unlike · 1
  • Balbir Singh badi hasraton se vote diya tha BJP ko lagata hai hasraten dil mein hi raha jayengi
    16 hrs · Unlike · 1
  • Ajay Kr Misra कमाल की प्रस्तुति, सार्थक है। "जय हिन्द"
    15 hrs · Unlike · 1
  • Suresh Chadha Bahut khoob ......
    lazawab rachna ki prastuti
    12 hrs · Unlike · 1

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