Sunday, January 18, 2015

विकास कर हिन्दोस्तां को अमेरिका बना देगें, गरीब की गरीबी खत्म कर महलों में बिठा देगें।

कलम से____
लोग कपड़ों की तरह विचार भी बदल लेते हैं
चले बस तो क्या कहें ईमान भी बदल लेते हैं।
कल यहाँ आज वहाँ चलो आराम से वहाँ चलें
जहां दिखता कमाई का जरिया तो वहीं चलें।
पूछेगी जनता कह देगें कुछ भी जो दिल कहेगा
सुनाने को है पास हमारे जो जमाना सुनेगा।
बिजली चौबीस घंटे देने का वायदा कर देगें
बीमारी में इलाज फ्री करवा कर सांस लेगें।
विकास कर हिन्दोस्तां को अमेरिका बना देगें
गरीब की गरीबी खत्म कर महलों में बिठा देगें।
झूठ बोलना सीखना हो तो कोई इनसे सीखे
राज नेता बन घर भरना इनसे जो चाहे सीखे।
दोस्तों आस्तीन के सापों से बच कर रहना
अपना वोट चुनाव में बहुत संभल कर देना।
न देना चाहो वोट किसी को भी, है एक आप्शन
वोटिंग मशीन में अबकी बार है, ऐसा प्राविजन।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ram Saran Singh आदरणीय । नेताओं की फित्रत पर सही लिखा है आपने । लेकिन अब भारतीय लोकतंत्र परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है ।जनता आस्तीन के साँपों की पहचान करने में समर्थ है । पर जनता को प्रलोभन से बचना होगा और सही फ़ैसला करना होगा ।
  • Rajan Varma आज की ज़िन्दगी किसी व्यवसाय से कम नहीं है- हर शय को, फ़िर चाहे वोह रिश्ता हो अथवा वस्तु विशेष- नफ़े-नुक्सान के तराज़ू में तोल कर देखा जाता है; ग़र सौदा नुक्सान का हुआ तो पाला बदलने में कोई देर कहाँ करता है भला??
    राजनीति तो ़िफ़र खेल ही शतरंज का है- जैसे-तैसे कैसे भी- बस शह अौर मात् कैसे करनी है, इसी पर नज़र रहती है; साम, दाम, दंड, भेद- कोई भी हथियार अपनाने से कहाँ चूकते हैं इस खेल के खिलाड़ी??
  • Dinesh Singh वाह मान्यवर बहुत ही खूबसूरत रचना
  • Balbir Singh aaap ke vichar bahut hi achhe lage rajan ji .lagata hai ki aap bhi bahut khafa hain netaon se
  • Rajan Varma नेता कब किसी के अपने होते हैं बलबीर जी,
    ख़फ़ा तो इंसा अपनों से ही हो सकता है नाह?
  • Prem Prakash Goswami विकास कर हिन्दोस्तां को अमेरिका बना देगें
    गरीब की गरीबी खत्म कर महलों में बिठा देगें।
    झूठ बोलना सीखना हो तो कोई इनसे सीखे
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  • S.p. Singh धन्यवाद । सभी मित्रों का आभार।

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