Thursday, January 29, 2015

छू बसंती वायु सिहरन जागती जो बस वही मधुमास का पहला चरण है।

कलम से____
कहने को आया बसंत मन भरभाया है
लगता कुछ ऐसा मध्यम मध्यम क्षण है।
बह रही ठंडी बयार चुभती चुभती सी है
बस यही मधुमास का पहला चरण है।
पीताम्बरी ओढ़नी ओढ़के सजाई सेज है
पीली सरसों हँस रही देख प्रकृति का खेल।
प्रिये मधुर मधुमास का जो व्याकरण है
प्रकृति का वैभव उसी का अनुकरण है।
छू बसंती वायु सिहरन जागती जो
बस वही मधुमास का पहला चरण है।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
Unlike ·  · 

No comments:

Post a Comment