Monday, January 26, 2015

वह घटा उठी धुआँ-धार, कहाँ जाओगे मूसलाधार के हैं आसार, कहाँ जाओगे।

कलम से_____
बादलों से घिरी है रात, कहाँ जाओगे
गरज़ती हुई है बरसात, कहाँ जाओगे।
वह घटा उठी धुआँ-धार, कहाँ जाओगे
मूसलाधार के हैं आसार, कहाँ जाओगे।
अंधेरे बढ़ चले हैं बहूत, कहाँ जाओगे
नहीं रौशन हुए हैं चराग, कहाँ जाओगे।
सरद बहूत है यह रात, कहाँ जाओगे
दुशाला भी नहीं है साथ, कहाँ जाओगे।
रास्ते गुम हैं अकेले हो, बड़ा जोखिम है
प्यार की आओ करें बात, कहाँ जाओगे।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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