Friday, January 16, 2015

चलो हम फिर से प्यार करें ग़म दुनियाँ के भूल चल हम साथ चलें........

कलम से____
फिर से प्यार करें रिश्तों में दरार जो आ गई थी उसे दूर करें
फटे हाल हो बिताये हैं कुछ दिन मालामाल हो गये चल ग़म ग़लत करें
चलो हम फिर से प्यार करें ग़म दुनियाँ के भूल चल हम साथ चलें
ज़माने की ओर न देख इसने कब चाहा लोग यहाँ मिल कर चलें
यह तो हम थे अच्छे बुरे वक्त में भी साथ रहे चलो चाँद की सैर करें
चलो हम फिर से प्यार करें ग़म दुनियाँ के भूल चल हम साथ चलें........
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay Kr Misra जिन्दगी के उतार चढाव के
    बीच नई ऊर्जा जगाती
    आपकी सुन्दर अभिव्यक्ति।
  • Ram Saran Singh "ज़माने की ओर न देख, इसने कब चाहा लोग यहाँ मिलकर चलें" बहुत ही सटीक कहा आपने । दरार भर्ती रहे, दरार बनाने वाले तो रहेंगे ही । धन्यवाद ।
  • Rajan Varma नफ़रत के बीज जो बो गये थे, जाने से पहले अंग्रेज,
    फ़ल-फ़ूल रहे हैं आज, ले बेपनाह शह ज़माने की;
    दम घुट रहा है, अब अौर नहीं- बस अौर नहीं,
    मोहब्बत का इक जहाँ बसायें-जहाँ नफ़रत की खेती न हो;
  • Dinesh Singh बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति
  • BN Pandey Unki apani murzi wafaa Kate yaa zafaa Kare meri tahzeeb Hume nahi sikhaati zaffaa kaa badalaa zaffaa se denaa..
  • Javed Usmani बहुत उम्दा भाव ,
    23 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh शुक्रिया जावेद भाई।
    23 hrs · Like
  • Harvir Singh · Friends with Puneet Chowdhary
    Wah Wah kya Baat hai.
    21 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh धन्यवाद हरवीर सिंह जी।
    21 hrs · Like
  • S.p. Singh धन्यवाद । सभी मित्रों का आभार।
    2 hrs · Like · 1

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